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सदगुरु कृपा विशेषांक (चिंता निवारण विशेषांक) – भाग १

Updated: Aug 5


विधि का विधान


इस संसार में ऐसा कौन होगा जिसके जीवन में मानसिक चिंतायें न सताती हों या दुविधायें न आती हों । मनुष्य जीवन प्राप्त हुआ है तो सभी तरह की समस्याओं से सामना तो होगा ही । ये तो प्रकृति का नियम है । कालक्रम में जीवन कभी बहुत सुख पूर्ण होता है और कभी समस्यायें इस प्रकार से घेर लेती हैं कि मानो जाने का नाम ही न लें ।

समस्या इस बात में नहीं है कि समस्या आयी है । मूल समस्या तो इस बात में है कि हम जान ही नहीं पाते हैं कि इस समस्या का समाधान करें तो करें कैसे । अगर हम समाधान जानते हैं तो आधी समस्या तो वैसे ही खत्म हो जाती है । बाकी की आधी समस्या तो आपके प्रयास करने से कम हो ही जाएगी ।


यहां हम भौतिक समाधान की चर्चा नहीं करेंगे । ऐसा इसलिए कि अपनी समस्या के समाधान के लिए प्रयास तो प्रत्येक व्यक्ति करता ही है । अगर डॉक्टरी समाधान चाहिए होता है तो अच्छे से अच्छे डॉक्टर को व्यक्ति दिखाता ही है । अगर बात शारिरिक परिश्रम की हो तो कोई भी पीछे नहीं हटता है । पैसे भी खर्च करने पड़ जाएं तो समस्या आने पर व्यक्ति उधार लेकर भी खर्च करता है ताकि समस्या से निदान मिल सके ।

पर क्या हो कि जब सारे प्रयास व्यर्थ चले जाते हैं और समस्या तनाव का रुप रख लेती है । ऐसे में कोई रास्ता भी समझ नहीं आता है । इससे पहले कि हम आध्यात्मिक प्रयासों की बात करें, जीवन के विभिन्न व्यावहारिक पक्षों को भी समझने का प्रयास करते हैं ।

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