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सदगुरु कृपा विशेषांक (चिंता निवारण विशेषांक) - भाग २

Updated: Aug 5

पिछले अंक में हमने इस बात को समझने का प्रयास किया था कि किस प्रकार एक क्षण मात्र के निर्णय का हमारे जीवन पर दूरगामी असर पड़ता है । उसी प्रकार से इस अंक में हम उन दो महत्वपूर्ण तथ्यों को समझने का प्रयास करेंगे जो प्रारब्ध वश होने वाली घटनाओं के परिणाम को विपरीत होने से बचाने में हमारी मदद कर सकते हैं -


  1. कीमत का भुगतान

  2. इष्ट - स्थापन


महाभारत में एक कथा का वर्णन आता है जब दुर्योधन ने अपने छल भरे प्रेम का दिखावा करके महर्षि दुर्वासा को वनवासी पाण्डवों के यहां भोजन करने भेज दिया । महर्षि दुर्वासा तो सब जानते थे, फिर भी वह परीक्षा लेने के लिए वनवास कर रहे पाण्डवों के यहां भोजन को आते हैं और वह भी अपने दस हजार शिष्यों के साथ । यहां उन्होंने भोजन करने की इच्छा जताई ।


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