सदगुरु कृपा विशेषांकः लक्ष्य भेदन सिद्धि - १
- Rajeev Sharma
- Jul 28, 2022
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Updated: Aug 6
संधान क्रिया साधना
रामायण के दो प्रसंग आप सबको अवश्य याद होंगे -
पहला - जब धनुष यज्ञ हुआ तो श्री राम ने भगवान शिव के धनुष को तोड़ दिया था और माता सीता के साथ उनका विवाह संपन्न हुआ । उस समय परशुराम जी ने आकर सब लोगों पर अपना क्रोध जताया था । उस समय परशुराम के अहंकार को नष्ट करने के लिए श्री राम ने परशुराम के विष्णु धनुष पर तीर का संधान करके कहा था कि मुनिवर आप बतायें कि क्या इस तीर के प्रयोग से आपके "मन के समान गति" को नष्ट कर दूं?
संधान मात्र से ही परशुराम जी को श्री राम की शक्ति का अहसास हो गया था क्योंकि उनको पता था कि उनके विष्णु धनुष पर उनसे ज्यादा समर्थ व्यक्ति ही तीर का संधान कर सकता है । परशुराम जी को दशावतारों में माना जाता है तो उनसे ज्यादा समर्थ तो केवल श्री नारायण के अवतार ही हो सकते हैं । इतना भाव मन में आने मात्र से ही उन्होंने भगवान श्री राम को पहचान लिया ।
दूसरा - जब समद्र तट पर श्री राम तीन दिन तक समुद्र की अभ्यर्थना करते रहे थे कि समुद्र उनको रास्ता दे दे । जब 3 दिन बीत गये तो श्री राम को क्रोध आ गया और अग्निबाण के संधान कर दिया । संधान मात्र से ही समुद्र प्रकट हो गया । जो समुद्र 3 दिन तक श्री राम की प्रार्थना अनसुनी करता रहा, अग्निबाण के संधान से ही ड़र के मारे सामने आ गया ।
इसमें दो चीजें तो स्पष्ट हो ही जाती हैं - पहली तो यह है कि शक्ति होनी चाहिए । अगर शक्ति नहीं होगी तो कार्य करने की क्षमता भी न आ सकेगी । दूसरा - शक्ति के प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती । बहुत से बहुत संधान कर देने मात्र से ही कार्य संपन्न हो जाते हैं । अगर सामने वाला समझदार है तो शक्ति के संधान मात्र से ही आपका कार्य संपन्न कर देगा और अगर फिर भी न समझे तो शक्ति का प्रयोग करने में कोई बुराई नहीं है ।
हालांकि मेरे अनुभव में शक्ति के प्रयोग की आवश्यकता दरअसल कभी पड़ती ही नहीं है ।
मैंने बहुत से गुरु भाई - बहनों को देखा है, सालों - साल साधना करते रहते हैं । एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी साधना चलती ही रहती है । ये क्रम कभी समाप्त नहीं होता लेकिन उनकी समस्यायें जस की तस रहती हैं । न तो चेतना के स्तर पर ही उन्नति हो पाती है और न ही भौतिक जीवन में ।
अब ऐसा भी नहीं है कि उनके द्वारा की जा रही साधना में कमी है या उस साधना मंत्र में कोई दोष है ।
तब समस्या कहां है?

