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साधक साक्षी है

एक समाज, एक देश के रूप में हम एक - दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं , प्रेरणा ले सकते हैं । आप सबका प्रेम और सहयोग एक दूसरे के प्रति भी बढ़े, इसीलिए इस पेज को बनाया गया है । अगर निखिल ज्योति वेबसाइट पर प्रकाशित लेखों और साधनाओं से आपके जीवन में कैसे भी सकारात्मक परिवर्तन आये हैं तो अपना अनुभव अवश्य शेयर करें । साधनात्मक अनुभव शेयर करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन जीवन के अनुभव लिख सकते हैं ।

साधक साक्षी है (2)
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सदगुरुदेव जी केसे किसी कोणे से भी डुंड लाते हे उसका एक छोटसा उदाहरण रख राहू .9th class मे था तब अचानक से शरारते करणे वाला लडका शांत सा हो गया , अनेको विचार , मन मे विचार आणे लगे ओर श्रोत, अथर्वशिष्य , हनुमान चालीसा ,जसे जसे समज आणे लगी वेसे वेसे रुची बडती गई , 12 th class हुई , degree हुआ , पर मन उदास रहता , अकले रोता , मन मे डेरो सारे प्रश्न , मंदिर मे जाकार एक ही सवालं क्या आप दर्शन देते हे , कोण मुझे बताय्गा , हमेशा मुझे एक कमी खलती गई . मेरा रोना ओर उदास रहेना जादा बड गया , पर इस सब मे एक बात होती 10 th class मे mobail पिताजी मुझे दिया था , उसमे होता की मे कुछ जिजे सर्च करता धर्म या श्रोत या कोई पाट के बारे मे तो मंत्र रहस्य किताब का पहिले पेज मे सद् गुरदेव की फोटो थी ओ सामने आती , ऐसा कई बार हुआ , मे उसे उपर करके दुसरे चीजे देखता , ऐसा काफी दिनो तक चला , फिर एक दिन काफी निराशा से बेटा था , अपने मे ही चिंतन कर रहा था , मोबाईल मे कुछ डुंड राहा था , फिर ओही बात , मंत्र रहस्य की किताब का पहिला पेज की फोटो मेरे सामने थी , मन विचार आया की हे बाबा की फोटो बार बार किवू दिखती , चलो आज बाबा के बारे मे जाणकारी लेते हे , नीचे नाम पडा डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी , फिर युट्युब पर सर्च करता हू ,कुछ तो मिलेगा , ओर मेने पहिला व्हिडिओ लागाया ,ओ था गुरुदिक्षा का , एक मिनिट आवाज सुनी ओर बहुत रोया , रोता ही गया , सद् गुरदेव की करुंगा बरी आवाज से मेरे आसू रुख नाही रहे थे , थोडा शांत हुआ , उनोने जिस तरह कहा उस तरह धिक्षा लिया , पहिली बार मुझे दीक्षा मिली , फिर 2 घंटे बात सोच राहा था की , मे रो किवू राहा था , केसे रोया मे यार केसे , अब मंजिल मील् चुकी थी , हे नारायण श्रीमाली वाले बाबा कहा रहेते हे उनके पास जाणा हे , काफी व्हिडिओ धुडने पर पता चला की जोदपूर मे रहते हे , मन मे आनंद ही आनंद , अब कसे जाया जाय उसका जुगाड सोच राहा था , शाम के समय मे बाबा के व्हिडिओ देख राहा था , व्हिडिओ देखते देखते एक व्हिडिओ देखा की बाबा तो अब नाही हे , फिर जो पीडा हुई , क्या बताऊ , 4/5 दिन कुछ , क्या करू अब , व्हिडिओ लगाता ओर बोलता की आपको मिलना ही नाही था , किवू मुझे या तक ले आये , किंऊ किंऊ, .. कुछ दिन बात शांत हुआ , चिंतन आया की व्हिडिओ तो हे , उसके माध्यम कुछ हल निकल सकता हे . व्हिडिओ देखता चला गया , बहुत सारी साधना की जाणकारी मिली , एक एक माला करता कबी नाही , फिर त्री मूर्ती गुरुदेव के बारे मे पता चला , संपर्क साधा ,अरविंद गुरुदेव से, धिक्षा के बारे पुचा , 1500 रु लगते हे , सोचा रुखांना पडेगा , पर नारायण बाबा हे ना , एक घंटा के अनंदर 1500 रु बँक मे आये , कम ना जादा , तुरंत भेजे आपणा नाम बोला , कुछ दिन बात सामग्री आई , जेसे जसे समजा वेसे वेसे साधना का प्रारंभ हुआ , जादा दूर नाही जा सकता था शिवर के लिये नारायण बाबा ने ओ भी इंतजाम कर दिया , शिवर ही मेरे जिले के शहर मे पहिली बार हुआ . अरविंद गुरुदेव को सामने मिला . अब प्यारे गुरूभाई , नारायण बाबा से सद् गुरदेव जी मार्ग दर्शन मे साधना मे आगे बड राहा हू ....... ................... आपका भाई प्रदीप 😊 ....

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बहुत सुंदर प्रदीप । आपका अनुभव ये बताता है कि किस प्रकार से गुरु अपने शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं । मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास भी है कि बाकी लोगों को भी इस अनुभव से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा । 👍

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