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शक्ति प्रवाह, साधना और सिद्धि - १

Updated: Aug 7

प्रारब्ध और संचित कर्म


एक बार किसी गांव में एक सज्जन महाजन रहा करता था । महाजन और वो भी सज्जन...! पर सच्चाई भी यही थी । और उसकी सज्जनता का कारण भी बड़ा स्पष्ट था । जब भी उससे कोई व्यक्ति पैसा उधार लेने आता तो वह केवल एक ही चीज पूछता -


"पैसे इसी जन्म में वापस करोगे या अगले जन्म में"?


अब जो जैसे कह देता, वह अपने बही - खाते में वैसे ही लिख लेता और पैसे आगंतुक को दे देता ।


गांव वालों को नियम पता थे ही तो वहां सबका काम आराम से चल ही जाता था ।


किसी समय एक चोर को भी यही बात पता चली तो उसने सोचा कि ये तो बड़ा अच्छा मौका है । अगले जन्म की कहकर, चाहे जितने पैसे ले लो और कभी वापस भी न आओ । यही विचार करके वह चोर उसी महाजन के यहां पहुंच गया । अपनी क्षमता से उसने पैसे उधार मांगे तो महाजन ने उससे भी वही पूछा -

"पैसे इसी जन्म में वापस करोगे या अगले जन्म में"?


चोर तो इसी फिराक में था । तपाक से कहा - अगले जन्म में...!

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