अंक विद्या-भाग २
- Rajeev Sharma
- Nov 6, 2020
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Updated: Aug 7
सर्व सिद्धि दाता - पंद्रह का यंत्र
अंक विद्या का प्रयोग केवल ज्योतिष में ही नहीं होता है बल्कि सदगुरुदेव ने इसके विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला है । जिन लोगों ने मंत्र-तंत्र-यंत्र पत्रिका के वर्ष 80 के दशक में प्रकाशित अंकों का अध्ययन किया होगा, उन्हें अंक पद्धति पर आधारित यंत्रों का भी ज्ञान मिला होगा । पर सब लोग उतने भाग्यशाली नहीं हो सकते - जिनको स्वयं सदगुरुदेव ने अपने हाथों से सिखाया था, उनके सौभाग्य की तुलना किसी भी चीज से नहीं की जा सकती ।
पर, फिर भी सदगुरुदेव तो कृपा निधान हैं और आने वाले समय को देखकर पहले ही सब कुछ ग्रंथों के माध्यम से सुरक्षित रख दिया था ।
यंत्र चिंतामणि में बताया गया है कि जब जीवन के पुण्य उदय होते हैं, और भविष्य कल्याणकारी होता है, तभी व्यक्ति के मन में यंत्र प्राप्त करने या यंत्र उत्कीर्ण करने का विचार आता है । यंत्र का लेखन प्राचीन काल से होता आया है, और हमारे पूर्वजों ने इस बात को अनुभव किया है कि यदि सही प्रकार से यंत्र उत्कीर्ण हो और उसको पूरी तरह से उपयोग में लाया जाए तो उससे श्रेष्ठ और कोई विधि विधान नहीं है ।
ये यंत्र दिखने में अत्यंत सरल और सामान्य प्रतीत होते हैं परंतु उनका प्रभाव निश्चित रुप से अत्यधिक व्यापक और महत्वपूर्ण होता है । पंद्रह का यंत्र इसी प्रकार के श्रेष्ठ यंत्रों में से एक हैं, जिसका उपयोग सैकड़ों वर्षों से भारतीय करते आ रहे हैं ।

(पंद्रह का यंत्र)
पंद्रह का यंत्र जिसे पंद्रहिया यंत्र भी कहा जाता है, दरिद्रता नाशक, आर्थिक उन्नति और सभी प्रकार की समृद्धि देने वाला माना जाता है, इसीलिए दीपावली के अवसर पर घर के मुख्य द्वार पर पंद्रह का यंत्र अंकित किया जाता है, व्यापारी लोग अपनी बहियों पर दीपावली पूजन के समय बही के प्रथम पृष्ठ पर पंद्रह का यंत्र अंकित कर उसे लक्ष्मी का पर्याय मानकर उसकी पूजा करते हैं ।


