अंक विद्या-भाग १
- Rajeev Sharma
- Nov 3, 2020
- 18 min read
Updated: Aug 7
अंक विद्या के प्रयोग से प्रश्न का उत्तर ज्ञात करना
अष्टक वर्ग में हमने जीवन के कई रहस्यों को इस प्रकार से खुलते हुये देखा है कि कहीं पर कोई गोपनीय बात बचती ही नहीं है । अगर गणना ठीक तरीके से की जाती है तो हम न सिर्फ भूतकाल और वर्तमान भी जान सकते हैं बल्कि हमें भविष्य भी स्पष्ट ज्ञात हो जाता है । हालांकि अष्टक वर्ग की यह सब गणना उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जिनका जन्म समय हमें ज्ञात होता है । बिना जन्म समय और स्थान की जानकारी के अष्टक वर्ग की गणना करना कम से कम हमारे लिए तो असंभव ही है ।
आज भी समय - समय पर लोग अपने अष्टक वर्ग की गणना के लिए हमारे पास डिटेल्स भेजते रहते हैं । यथासंभव सबकी जिज्ञासाओं का समाधान करने का प्रयास करना हमारे लिए एक गुरु कार्य ही है और, इस कार्य को हम हमेशा करते रहेंगे । इस कार्य के लिए किसी से कोई फीस नहीं ली जाती है इसलिए अगर मन में कोई प्रश्न आये तो निःसंकोच आपको हमसे संपर्क कर लेना चाहिए । यह सब सदगुरुदेव का ही तो दिया हुआ ज्ञान है, आप सबके साथ बांटने में हमें बहुत प्रसन्नता होती है ।
खैर, अब बात करते हैं उनकी जिनको अपने जन्म समय का ज्ञान ही नहीं है । और, ऐसा तो है नहीं कि आपको ऐसे लोग न मिलें जिनको अपने जन्म समय का ज्ञान नहीं है । कारण चाहे तो भी रहा हो, लेकिन आज भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनको अपने जन्म समय का ज्ञान नहीं होता है अथवा जन्म समय की सटीकता में संदेह होता है । ऐसे लोगों का अष्टक वर्ग तो नहीं बनाया जा सकता है, और ये लोग किसी ज्योतिषी के पास जाकर भी कोई फायदा नहीं उठा सकते हैं । क्योंकि ज्योतिषी तो उनसे जन्म समय पूछेगा ही । तो क्या इन लोगों के लिए ज्योतिष में कुछ भी उपाय नहीं है?
शायद इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये ही सदगुरुदेव ने सैकड़ों विधाओं को सामने रखा है जिनके माध्यम से हम अपने जीवन में सामने खड़े प्रश्नों के उत्तर ज्ञात कर सकें । उनको पता था कि आने वाला समय और भी कठिन है, इसलिए अपने ग्रंथों के माध्यम से उन्होंने उन सब समस्याओं का बहुत पहले ही निराकरण कर दिया था, जो समस्यायें आज के युग में अथवा भविष्य में मनुष्य के सामने आने वाली हैं । ऐसी ही एक अद्भुत विद्या है जिसे सदगुरुदेव ने अंक विद्या का नाम दिया है ।
अंकों द्वारा प्रश्न विचार
अंकों द्वारा प्रश्न विचार एक महत्वपूर्ण पद्धति है । भारतीय ज्योतिष में तो प्रश्न पद्धति पर कई पुस्तकें हैं तथा इसके कई प्रकार हैं । पर हम यहां सदगुरुदेव प्रदत्त अंक विद्या की कला-पद्धति का विवरण दे रहे हैं । यह एक आसान, सटीक, महत्वपूर्ण और प्रामाणिक पद्धति है और आप स्वयं अपने जीवन में इसका प्रयोग करके देख सकते हैं ।
प्रश्न करने वाला सबसे पहले 9 अंकों की एक संख्या लिख ले । तत्पश्चात अंक-ज्योतिर्विद को चाहिए कि उसमें ३ जोड़ दे और जो योग आये, उसके अनुसार फल कहे ।
उदाहरण के लिए - एक व्यक्ति ने अपने प्रश्न का शुभाशुभ जानने के लिए निम्न संख्या लिखी -
438527581=43
हमेशा इसमें 3 जोड़ दें -
43 + 3 = 46
इस 46 की संख्या के अनुसार जो फल हो, वह सही होगा ।


