चैतन्य संस्कार मंत्र और लक्ष्मी प्राप्ति
- Rajeev Sharma
- Mar 3, 2020
- 6 min read
Updated: Aug 8
मेरी उम्मीद से अधिक भाई लोगों ने सदगुरुदेव की अप्रतिम कृति 'मैं गर्भस्थ शिशु को चेतना देता हूं' कैसेट में रुचि दिखाई है । मैं उम्मीद ये भी करता हूं कि आप सबने इस कैसेट की मूल प्रति भी गुरुधाम से मंगवा ली होगी । अगर नहीं मंगवाई है तो आपको ये कार्य अतिशीघ्र कर देना चाहिए । क्योंकि सदगुरुदेव की ही प्रेरणा से आज उन तथ्यों पर चर्चा होगी कि इन चैतन्य संस्कार मंत्र का प्रयोग हम लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कैसे कर सकते हैं ।
और सिर्फ लक्ष्मी प्राप्ति पर ही चर्चा क्यों, जीवन के विविध पक्षों पर भी हम आज चर्चा करने ही वाले हैं । क्योंकि हमारा इस ब्लॉग को लिखने का मूल उद्देश्य ही है कि किस प्रकार से साधनाओं के माध्यम से व्यावहारिक जीवन में भी सफलता प्राप्त करें ।
उद्देश्य अनेक हो सकते हैं । कोई जीवन में लक्ष्मी की प्राप्ति चाहता है, कोई जीवन में विद्या प्राप्त करना चाहता है, कोई रोगों से मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, अनेकानेक पक्ष हो सकते हैं पर, सत्य यही है कि हम सब जीवन में अपने अभीष्ट को प्राप्त करना ही चाहते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं । वैसे, सत्य यह भी है कि संघर्ष तो बहुत लोग करते हैं पर सफलता किसी - किसी को ही प्राप्त होती है ।
तो आखिर सफलता के मूल में है क्या? वो कौन सा तरीका है जिससे हम अपने अभीष्ट की प्राप्ति सहज तरीके से कर सकते हैं ।
तो इस प्रश्न के उत्तर में हमें चैतन्यता को समझना होगा । दरअसल हमारे मन और शरीर की चेतना ही वो मूल है जिसके आधार पर ये तय होता है कि हम किसी उद्देश्य के लिए कितना और किस स्तर का प्रयास कर सकते हैं ।
उदाहरण के लिए, अगर किसी पाँचवीं क्लास के बच्चे को गणित का कोई कठिन सवाल हल करने के लिए दिया जाए तो उसके लिए बहुत मुश्किल होगा । पर अगर किसी MSc के छात्र से उसे हल करने के लिए कहा जाए तो हो सकता है कि वो उस सवाल को 2 मिनट में ही हल कर दे । आप कहेंगे कि ये कौन सी बड़ी बात हो गयी । MSc के छात्र ने तो जीवन भर गणित पढ़ा है तो उसने अगर 2 मिनट में किसी सवाल को हल कर दिया तो इसमें अचरज करने की कौन सी बात है ।
बिलकुल सही सोचा आपने । पर जरा ये भी तो सोचिये कि क्या हमने ऐसे जीनियस बच्चे नहीं देखे हैं जो कम उम्र में भी ऐसी कमाल की चीजें कर जाते हैं जो बड़े - बड़ों को भी अचरज में डाल देती हैं । और आजकल की ही जनरेशन को देख लीजिए, एक 50 साल का व्यक्ति आज भी स्मार्टफोन को हाथ में लेने से डरता है पर एक 2 साल का बच्चा आपके फोन को उलट - पुलट कर रख देगा, आप बस एक बार फोन का लॉक खोलकर दे तो दीजिए । सारी फाइलें इधर से उधर न हो जायें तो कहना :-)
ये चीजें मनुष्य के मन की चैतन्य अवस्था का ही एक उदाहरण हैं । पर ऐसे सैकड़ों उदाहरण हो सकते हैं जिन पर चर्चा करना फिलहाल हमारा उद्देश्य नहीं है ।
पर इतने उदाहरण से आप स्पष्ट रुप से समझ ही सकते हैं कि चैतन्यता का मनुष्य के जीवन में क्या महत्व है ।
अब आप इतना समझ ही गये हैं तो बस इतना करना है कि हम उन साधनाओं को करें जिनके माध्यम से मनुष्य की चैतन्यता ऊर्ध्वमुखी हो जाती है । सामान्य तौर पर इसके लिए सदगुरुदेव ने चेतना मंत्र प्रदान किया था जो निम्न प्रकार है, हालांकि इसका वर्णन हम अपनी पिछली पोस्टों में कर चुके हैं और प्राणप्रतिष्ठा प्रयोग में इसकी विधि के बारे में बताया जा चुका है -
चेतना मंत्र
।। ॐ ह्रीं मम् प्राण देह रोम प्रतिरोम चैतन्य जाग्रय ह्रीं ॐ नमः ।।
।। Om hreem mam pran deh rom pratirom chaitanya jaagray hreem om namah ।।



