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दुर्लभोपनिषद

Writer's picture: Rajeev SharmaRajeev Sharma

Updated: Sep 3, 2023

जीवन में हम सभी की अभिलाषा होती है कि एक बार तो देव दर्शन हो ही जायें । इस चाह में व्यक्ति क्या कुछ नहीं करता, मंदिर जाता है, व्रत करता है, पूजन - अर्चन करता है, सैकड़ों मीटर लेटकर चलता हुआ अपने इष्ट के मंदिर तक परिक्रमा करता है...और भी न जाने क्या क्या करता है । सिर्फ इसीलिए तो कि एक बार उसके इष्ट की उस पर कृपा हो जाए । लोग पूरा जीवन लगा देते हैं कि काश एक बार फलां देवता के दर्शन हो जायें तो जीवन धन्य हो जाए । इतनी तपस्या करते हैं, इतना त्याग करते हैं पर दर्शन किसी - किसी सौभाग्यशाली को ही होते हैं । वैसे तो कृपा का अहसास लोगों को हो जाता है । उनके कुछ रुके हुये काम बन जाते हैं । किसी को किसी और भी तरह से कृपा प्राप्त होती ही है । लोग संतुष्ट भी हो जाते हैं कि दर्शन नहीं हुये तो चलो, कोई बात नहीं, कम से कम, उनकी कृपा तो मिली...!!!


ये तो रही कृपा प्राप्ति लेकिन, जीवन में 2-4 काम पूरे हो जाना अपने आप में अनोखी घटना नहीं है । अनोखी घटना तब है जब आप उन 33 करोड़ देवी - देवताओं की लाइन में सबसे आगे खड़े होकर, परमात्मा के प्रकाश स्वरुप या सच कहूं तो जो विराट स्वरुप भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिखाया था, उसकी अभ्यर्थना आप स्वयं करें, तब तो आनंद है इस जीवन का, नहीं तो सब बेकार है ।


पूज्य सदगुरुदेव ने दशकों पहले ही दुर्लभोपनिषद के बारे में स्पष्ट करते हुये कहा था कि जो व्यक्ति बिना नागा किये हुये 108 दिन तक लगातार दुर्लभोपनिषद का ज्ञेय अवस्था में पाठ करता है, सुनता है या श्रवण करता है तो उसे समस्त प्रकार की सिद्धियां स्वतः ही प्राप्त हो जाती हैं । मात्र 9 श्लोकों के माध्यम से हम जीवन में क्या-क्या प्राप्त कर सकते हैं इसका महत्व भी पूज्य सदगुरुदेव ने इस दुर्लभोपनिषद के माध्यम से समझाया है ।


मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि पहले कुछ समय तक हमें इस दुर्लभोपनिषद को अपने घर में नित्य - प्रतिदिन बजाना चाहिए और इसका ध्यानपूर्वक श्रवण करना चाहिये । इससे हमें इस दुर्लभोपनिषद को आत्मसात करने में मदद मिलती है । वैसे तो इसमें केवल 9 ही श्लोक हैं लेकिन पूज्य सदगुरुदेव ने इनकी पूरी व्याख्या करते हुये इसके मूल तथ्य को स्पष्ट किया है कि आखिर इन 9 श्लोकों में ऐसी क्या बात है जिसके कारण हमें इसका पाठ करना चाहिए या श्रवण करना चाहिए । मेरा मानना है कि, एक बार जब श्लोक कंठस्थ हो जायें, इसकी लय पर पकड़ बन जाये, उसके बाद ही इसका सस्वर (गाकर) पाठ करना चाहिए । एक बार आंखें बंद करके, ध्यान लगाते हुये, आप इन श्लोकों को गाकर तो देखिये, पूरी सृष्टि का वैभव फीका न पड़ जाये तो कहना...!


गुरुर्वै सदां पूर्ण मदैव तुल्यं प्राणो वदार्यै वहितं सदैव। चिन्त्यं विचिन्त्यं भव मेक रुपं गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं ।।


गुरुर्वै प्रपन्नार्तवैवां वदैवं अत्योर्वतां वै प्रहितं सदैव। देवोत्वमेव भवतं सहि चिन्त्य रुपं गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


सतं वै सदानं देवालयोवै प्रातोर्भवेवै सहितं न दिर्घयै। पूर्णतंपरांपूर्ण मदैव रुपं गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


अदोयं वदेवं चिन्त्यं (सहेतं) पुर्वोत्त रुपं चरणं सदैयं। आत्मो सतां पूर्ण मदैव चिन्त्यं गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


चैतन्य रुपं अपरं सदैव प्राणोदवेवं चरणं सदैव। सतीर्थो सदैवं भवतं वदैवं गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


चैतन्य रुपं भवतं सदैव, ज्ञानोच्छवासं सहितं तदैव। देवोत्त्थां पूर्ण मदैव शक्तीं, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


न तातो वतान्यै न मातं न भ्रातं न देहो वदान्यै पत्निर्वतेवं। न जानामी वित्तं न वृत्ति न रुपं गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


त्वदियं त्वदेयं भवत्वं भवेयं, चिन्त्यंविचिन्त्यं सहितं सदैव। आर्तोनवातं भवमेक नित्यं, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


अवतं सदेवं भवतं सदैवं, ज्ञानं सदेवं चिन्त्यं सदैवं। पूर्णं सदैवं अवतं सदैवं, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं।।


इन स्तोत्रों को 2 भाग में YouTube पर अपलोड़ कर दिया गया है । साथ ही इसकी MP3 फाइल भी इसी पोस्ट में शेयर की जा रही है ताकि जो लोग इसे अपने फोन में ही डाउनलोड़ करके सुनना चाहें तो सुन सकें ।

 

दुर्लभोपनिषद - भाग 1

दुर्लभोपनिषद: भाग 1 की MP3 फाइल यहां से डाउनलोड़ की जा सकती है ।


 

दुर्लभोपनिषद - भाग 2


दुर्लभोपनिषद: भाग 2 की MP3 फाइल यहां से डाउनलोड़ की जा सकती है ।


 

इन सभी 9 श्लोकों को आप प्रिंट करने के उद्देश्य से PDF फाइल में यहां से डाउनलोड़ कर सकते हैं ।



आप सबको अपने जीवन में गुरु की कृपा प्राप्त हो सके, उनके दर्शन हो सकें और उससे भी बढ़कर उनका साहचर्य प्राप्त हो सके, ऐसी ही शुभेच्छा है ।


अस्तु ।

 

4 Comments

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mbd94121@gmail.com
Dec 17, 2024
Rated 5 out of 5 stars.

om param tatvaye narayanaye gurubhayo namah....

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Guest
Dec 12, 2024

Jai sadgurudev

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Guest
Feb 01, 2024
Rated 5 out of 5 stars.

Jai Gurudev

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Guest
May 18, 2024
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Thanks for sharing 🙏 🙏

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