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सदगुरु कृपा विशेषांक - यज्ञ महोत्सव (छर्रा, अलीगढ़)

Updated: Nov 10, 2023

छर्रा (अलीगढ़) यज्ञ महोत्सव


जैसा कि आप सबको ज्ञात हो ही चुका है कि आगामी 4 - 5 दिसंबर, 2023 को एक विशाल और भव्य यज्ञ का आयोजन सुनिश्चित हुआ है । यज्ञों की यह श्रृंखला उत्तराखंड से शुरु हुयी थी और अब तक लगभग 6 - 7 यज्ञ संपन्न हो चुके हैं ।


यज्ञ का प्रारंभ 4 दिसंबर की सुबह 5 बजे से होगा और लगातार 24 घंटे तक चलने वाले इस यज्ञ की पूर्णाहुति 5 दिसंबर की प्रातः लगभग 9 - 10 बजे तक हो जाएगी । दरअसल यज्ञ से पहले पूजन कार्यक्रम में 2 घंटे लग जाते हैं तो इतना समय लेकर चलना पड़ता है । भोजन - प्रसाद का वितरण होते - होते आप सांय 4 बजे तक फ्री हो सकते हैं । तो जो गुरु भाई - बहन इस यज्ञ में भाग लेने की इच्छा रखते हैं वह अपना वापसी का कार्यक्रम 6 दिसंबर का ही करें, ऐसा इसलिए है कि जाड़े का समय रहेगा और शाम 5 बजे तक अंधेरा हो जाता है ।


अपने साथ क्या लेकर चलें?


यज्ञ स्थल पर आपके रुकने की पूरी व्यवस्था रहेगी, भोजन प्रसाद, फलाहार इत्यादि की व्यवस्था आयोजकों की तरफ से ही होगी इसलिए उस तरफ चिंता करने की आवश्यकता नहीं है । हालांकि रास्ते के लिए गरम कपड़े अवश्य रखकर लायें ।


अलीगढ़ रेलवे स्टेशन से यज्ञ स्थल तक कैसे पहुंचेंगे?


अलीगढ़ से छर्रा की दूरी मात्र 40 किमी है । वैसे तो अलीगढ़ में "छर्रा बस स्टैंड" से छर्रा के लिए हर घंटे बस मिल जाती है । लेकिन मेरी राय में अगर आप सभी सांय 4-5 बजे तक अलीगढ़ पहुंच जायें तो फिर हम सब एक साथ चल सकते हैं । वाहन की व्यवस्था हम लोग कर देंगे । मैं यहां पर यज्ञ स्थल की लोकेशन दे रहा हूं । अगर किसी वजह से आप यज्ञ स्थल तक न पहुंच पायें तो नजदीक के शिव मंदिर पहुंचकर हमें संपर्क कर लें । छर्रा में शिव मंदिर बहुत प्रसिद्ध है, कोई भी बता देगा ।


यज्ञ के मुख्य यजमान नितिश गौड़ हैं और यज्ञ स्थल का पता नीचे हैं -

Sri Rajender Bhawan,

10/23, Shivpuri 2,

Chharra,

Aligarh, Uttar Pradesh




जो भाई - बहन इस यज्ञ में भाग लेने की इच्छा रखते हैं, वो मुझसे #8979480617 पर WhatsApp या कॉल करके संपर्क कर सकते हैं । अथवा आप सीधे ही यहां रजिस्टर करके अपना नाम, पता और फोन नंबर दे दीजिए । अगर कोई विशेष आवश्यकता हो तो आप रजिस्ट्रेशन के समय ही लिख दीजिए, वहां आपको विकल्प मिलेगा ।



रजिस्ट्रेशन के लिए आपको RSVP करना होगा । जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है Please respond या Please reply :-) । दरअसल RSVP एक फ्रैंच वाक्य का एक्रोनिम है "Répondez s’il vous plaît".


तो रजिस्ट्रेशन के लिए आप हमें RSVP करें 😇


यज्ञ में योगदान कैसे करें?


सदगुरुदेव महाराज की कृपा से इस यज्ञ की व्यवस्था करने में सक्षम सभी गुरु - भाई बहन एक साथ आ चुके हैं । फिर भी बहुत से गुरु भाई - बहनों ने इस यज्ञ में योगदान की इच्छा जतायी है, तो आप सबका भी स्वागत है । सबको इसका फल मिले और सभी इस यज्ञ से प्राप्त पुण्य के भागी बनें, इसलिए यज्ञ में आने वाले योगदान को यज्ञ में ही प्रयोग किया जाएगा ।


अगर आप किसी भी प्रकार से योगदान करना चाहते हैं तो आप इस लिंक के माध्यम से कर सकते हैं ।



अगर आप कोई सामग्री विशेष को लेकर योगदान करना चाहते हैं तो आप ऊपर दी हुयी लिंक के माध्यम से योगदान करते समय लिख दीजिए । उस धनराशि का इस्तेमाल उसी कार्य में किया जाएगा । अगर आप सामग्री विशेष अपने साथ लेकर आना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं ।


यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली सामग्री का विवरण -

हवन सामग्री (शांतिकुंज)

50 किलो

कमलगट्टा

15 किलो

देशी घी (गाय)

20 किलो

मिश्री

5 किलो

गुड़

5 किलो

गुड़ पाउडर

5 किलो

काले तिल

10 किलो

शक्कर

5 किलो

इलायची

250 ग्राम

लौंग

250 ग्राम

काली मिर्च (साबुत)

500 ग्राम

चीड़ की लकड़ी

20 किलो

कमलगट्टे की माला

25

काली सरसों

10 किलो

पीली सरसों

10 किलो

हरे नींबू (छोटे वाले)

400 या 12 किलो

लाल मिर्च (साबुत)

5 किलो

बादाम

500 ग्राम

काजू

500 ग्राम

कागफल

1 किलो

यज्ञ में और भी लगभग 50 - 60 प्रकार की सामग्री ऐसी होगी जिसका इंतजाम स्थानीय स्तर पर करना ही उचित रहता है । यहां पर जो सामग्री बतायी गयी है वह आप अपने साथ ला सकते हैं या उसमें योगदान कर सकते हैं ।


यज्ञ में किन मंत्रों का प्रयोग होगा?


यज्ञ में मूल रूप से गुरु मंत्र से ही आहुति दी जाएंगी । हालांकि मूल गुरु मंत्र के अतिरिक्त भी सदगुरुदेव प्रदत्त विभिन्न बीज मंत्रों के साथ गुरु मंत्र से आहुति दी जाएंगी, इनमें मुख्य रुप से क्रीं, क्लीं, ह्रीं बीज युक्त गुरु मंत्र से आहुतियां देना सुनिश्चित किया गया है । प्रयास यही रहेगा कि प्रत्येक मंत्र को कम से कम 2 से 3 घंटे का समय मिल सके ।


इसके अलावा माता महालक्ष्मी, माता बगलामुखी और महाशांति विधान से संबंधित मंत्रों के लिए भी विशेष लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।


अब आप स्वयं ही सोच लीजिए कि क्या इस प्रकार के दिव्य यज्ञ में भाग लेने का मौका छोड़ना उचित है?


मेरा तो सुझाव यही है कि अगर 100 काम छोड़कर भी इस दुर्लभ यज्ञ में भाग ले सकें तो भी बहुत सस्ता सौदा है । कौन जाने फिर इस तरह के यज्ञ में भाग लेने का अवसर कब मिल सकेगा । और, मिलेगा भी या नहीं, कौन जाने ।


यज्ञ में भाग लेने के नियम


कोई विशेष नियम नहीं है लेकिन कुछ अपेक्षायें हैं -

  1. अपनी धोती, गुरु चादर और आसन साथ लायें ।

  2. यज्ञ के दौरान शुचिता का ध्यान रखें । जैसे कि लघुशंका के बाद इंद्रिय प्रक्षालन (पानी से धोना), स्नान और आचमन के बाद ही यज्ञ में वापस बैठें। अगर (स्वास्थ्य कारणों से) नहाना संभव न हो तो कम से कम ठीक से हाथ, पैर, मुंह धोकर ही वापस आयें । शौच के बाद स्नान करना अनिवार्य रहेगा ।

  3. हम लोग यज्ञ के समय व्रत में रहेंगे तो फलाहार की व्यवस्था रहेगी और आशा की जाती है कि हम लोग व्यर्थ के कार्य - कलापों में स्वयं को व्यस्त नहीं करेंगे ।

 

साधनात्मक तथ्य एवं सूक्ष्मता


रामायण में एक प्रसंग आता है जब हनुमान जी पहली बार लंका पहुंचे और माता सीता के सामने अंगूठी गिरायी थी । तब माता विस्मय में आ गयी थीं कि ये अंगूठी तो प्रभु श्री राम की है और यहां पर कैसे आ गयी । तब हनुमान जी (लघु रुप) में सामने आ गये थे और विस्तार से माता को सारी बातें बतायी थीं । और, बातों ही बातों में कहा था कि माता, अगर प्रभु श्री राम का आदेश न होता तो मैं सारी लंका को अभी विध्वंस कर देता और आपको वापस ले जाता ।


माता मुस्कुरा कर बोलीं कि हनुमान, क्या प्रभु की सेना में सभी वानर इसी साइज के हैं? माता का इशारा हनुमान जी के लघु रुप की तरफ था । तब हनुमान जी बोले कि माता ये तो मेरा छोटा रुप है, आप अगर आज्ञा दें तो मैं बड़ा रुप दिखाऊं? माता की आज्ञा मिलते ही हनुमान जी विशाल आकार के हो गये । तो माता विस्मित होकर बोलीं कि जल्दी से पहले जैसे हो जाओ, नहीं तो यहां के रक्षक देख लेंगे ।


उस समय माता ने बहुत प्रेम से एक बात कही - मेरे पुत्र में तो बहुत बल है । तो हनुमान जी तुरंत माता सीता के चरणों में लोट गये और कहा -


"बल नहीं है माता, ये तो मेरे प्रभु श्रीराम जी की कृपा है जो मैं समुद्र लांघ कर यहां तक आ गया"


अपने प्रभु के प्रति इतना प्रेम और विनम्रता देखकर माता सीता ने उसी समय आशीर्वाद दिया कि हनुमान, तुम अजर - अमर हो जाओ और, अतुलित बलशाली होने का भी वरदान दे दिया ।


 

रामायण में वर्णित इस प्रसंग की महत्ता को समझना हो तो नवरात्रि से बेहतर कुछ समय नहीं हो सकता । दरअसल नवरात्रि एक ऐसा विशेष चैतन्य काल होता है जब माता आदि शक्ति की परम पवित्र ऊर्जा लगातार 9 दिन तक प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त होती ही है । हालांकि इसका बोध केवल आध्यात्मिक पथ के पथिकों को ही हो पाता है, बाकी तो इस ऊर्जा और चैतन्यता को रास - रंग से प्राप्त आनंद में खर्च कर लेते हैं ।


ये ऊर्जा इतने सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती है कि एक साधारण व्यक्ति के लिए तो ऐसा समझिये कि पूरा दिन ताजगी भरा रहता है तो उसको लगता है कि उसने जो खाया - पीया है वह बहुत बढ़िया काम कर रहा है । लेकिन एक साधक के लिए इस ऊर्जा को महसूस करना और नवरात्रि के इस परम पवित्र अंतराल में साधना करना एक बहुत ही दिव्य अनुभव रहता है । कारण यही है कि भगवती महामाया अपनी माया को समेटकर अपनी सभी संतानों को एक दिव्य ऊर्जा प्रदान करती हैं और साधकों के लिए यही ऊर्जा उनकी साधना को बहुत तीव्र गति से संपन्न करने में मदद करती है ।


यही है इष्ट का बल ।


तो क्या हमारे अंदर कोई बल नहीं है?


हमारे अंदर बल है, यही भाव तो भगवती महामाया की माया है । अगर हम इस भाव को पार कर सकें तो अपनी आंखों से अपने इष्ट को साक्षात देख सकने की सामर्थ्य पा सकते हैं । पर इस भाव को पार करने की सामर्थ्य भी साधक में अपने इष्ट से ही आती है । हम लोग तो गुरु - शिष्य परंपरा के वाहक हैं तो हमारी सामर्थ्य तो सदगुरुदेव महाराज का ही आशीर्वाद है ।


ऐसे ही विभिन्न प्रश्नों पर समय - समय पर चर्चा करते रहेंगे लेकिन एक प्रश्न ऐसा भी है जो ज्यादातर साधकों को भ्रम में डाले रखता है ।


क्या एक साधक के लिए ब्रह्मचर्य अनिवार्य है?


अगर आप एक गृहस्थ हैं तो एक बात जान लीजिए कि आप ब्रह्मचर्य का पालन करने के चक्कर में न ही पड़ें तो बेहतर है । न आपसे हो पायेगा और न ही आपमें इतनी सामर्थ्य है कि आप विवाह के बाद ब्रह्मचारी बन सकेंगे ।


तो क्या करें?


करना क्या है । पहले तो अपने आप को मुक्त करने का प्रयास कीजिए । जो भी साधना करें, उसे मुक्त भाव से करते रहने का स्वभाव बना लीजिए तो संयम का भी स्वभाव धीरे - धीरे अपने आप आता जाएगा । लंबी साधनाओं में बैठिये और प्रत्येक दिन की साधना को ही संपूर्ण रुप में सदगुरुदेव महाराज को ही समर्पित कर दीजिए ।


रही बात ब्रह्मचर्य की तो पत्नि (या पति) के साथ जब भी संसार व्यवहार की इच्छा हो तो उसे भी अपने गुरु की आज्ञा मानकर ही संसार व्यवहार करें । बाद में नहा - धोकर फिर से पवित्र हो जाइये । इसमें फिर भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं बचती है । क्योंकि सब कुछ तो सदगुरुदेव महाराज की आज्ञा और प्रेरणा से ही होता है ।


हालांकि अगर आप कोई साधना संकल्प लेकर करते हैं और साधना के दौरान ब्रह्मचर्य अनिवार्य है तो उसका पालन करना भी अनिवार्य है । ऐसे में ब्रह्मचर्य का पालन न करने से साधना खंडित हो जाती है और उसका दोष भी लगता है ।

 

दीपावली पूजनः लक्ष्मी पूजन



सदगुरुदेव ने 80 के दशक में एक शिविर के दौरान बहुत ही महत्वपूर्ण प्रवचन दिया था और एक दुर्लभ प्रयोग संपन्न करवाया था । इस प्रयोग को दीपावली की रात्रि को ही संपन्न किया जाता है और दीपावली की रात्रि में 1 क्षण ऐसा आता है जब सारे ग्रह एक ही नाड़ी पर आ जाते हैं - उस समय की हुयी लक्ष्मी साधना की तुलना किसी भी अन्य साधना से नहीं की जा सकती है । इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण लेख वर्ष 2020 में ही प्रकाशित किया जा चुका है, मैं उसकी लिंक यहां फिर से दे रहा हूं ताकि आपको खोजने में दिक्कत न हो ।


यह लेख अंक विद्या - भाग 3 के नाम से प्रकाशित हुआ था, इसी में दीपावली पूजन के लिय क्षण विशेष को निर्धारित करना का तरीका भी बताया गया है । आप चाहे जिस लग्न में पूजन करें, उसका क्षण विशेष निर्धारित अवश्य करें ताकि भगवती महालक्ष्मी की कृपा पूर्ण रुप से प्राप्त हो सके ।

 

आयुर्वेद और हमारा जीवन


माता - पिता होने के नाते हम सब अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हैं । हमारा प्रयास यही रहता है कि किसी भी तरह से हमारे बच्चे स्वस्थ रहें और उम्र के साथ उनका विकास भी सही तरीके से होता रहे । बाजार में तरह - तरह के उत्पाद उपलब्ध है जैसे कि बॉर्नवीटा, कॉम्प्लान इत्यादि । टीवी पर आने वाले विज्ञापनों से भी यही महसूस होता है कि अगर हमारा बच्चा इनका प्रयोग करेगा तो उसका विकास बहुत अच्छी तरह से होगा ।


देखा जाए तो अगर करोड़ों की संख्या में इन उत्पादों की बिक्री होती है तो जरूर कुछ न कुछ तो असर होता ही होगा :-) । तो मैं इनको खारिज तो बिलकुल भी नहीं करने वाला । हमने भी एक समय इनका बहुत प्रयोग किया था । हालांकि तब हमारे पास विकल्प भी नहीं था ।


लेकिन मैंने इनके कुछ प्रभाव भी महसूस किये हैं जो बच्चों के लिए परेशान करने वाले हो सकते हैं । हालांकि सबके लिए ऐसा हो ही, ये जरूरी नहीं है । बॉर्नवीटा, कॉम्प्लान जैसे उत्पाद प्रयोग करने वाले बच्चों को शौच करने में दिक्कत आने लगती है । मां - बाप को लगता है कि ये नॉर्मल है लेकिन हम जब भी प्रोटीन उत्पादों का प्रयोग करते हैं तो शरीर का विकास तो होता है लेकिन पानी की जरूरत भी उतनी ही बढ़ जाती है । हम सब जानते हैं कि बच्चे पानी पीने में उतने सजग नहीं रह सकते है और इसका असर उनकी पॉटी टाइट होने में दिखता है ।


इसलिए मैं यहां एक विकल्प शेयर कर रहा हूं । DXN का ही ये एक और बेहतरीन उत्पाद है जिसको हम कोकोजी (Cocozhi) के नाम से जानते हैं । मैंने पिछले 10 वर्षों के अनुभव से जाना है कि बच्चों और महिलाओं के लिए कोकोजी से बेहतर कुछ नहीं हो सकता ।


गरमा गरम दूध के साथ आप एक चम्मच कोकोजी डालकर बच्चों को पिलायें, इसका चॉकलेट जैसा स्वाद बच्चों को बहुत भाता है । स्वाद बढ़ाने के लिए थोड़ी सी चीनी भी डाल सकते हैं । चूंकि इसमें गैनोडर्मा (औषधीय मशरूम) भी मिला होता है तो ये प्राकृतिक रुप से बच्चों की इम्यूनिटी भी बढ़ा देता है ।


अगर महिलायें इसको पीती हैं तो उनको शरीर में थकान का असर बहुत हद तक कम हो जाता है । इसके बारे में अगर कुछ जानना ही है तो इसको कम से कम एक बार इस्तेमाल करके अवश्य देखें । आपका नजरिया ही बदल जाएगा :-)



 

आज मैंने बहुत सारे विषय केवल एक ही पोस्ट में आप सबके सामने रखे हैं । क्या करें, सब तो महत्वपूर्ण ही हैं । बहरहाल, आप सबको मैं अपने हृदय की गहराइयों से इस यज्ञ महोत्सव में निमंत्रण देता हूं । आप सब अपनी - अपनी क्षमतानुसार यज्ञ में भाग ले सकें, उस महान पुण्य के भागी बन सकें जिससे आपका संपूर्ण जीवन ही ऊंचाइयों की ओर अग्रसर हो सके, ऐसी ही शुभेच्छा है ।


अस्तु ।


 

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