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Writer's pictureRajeev Sharma

काल ज्ञानः अष्टक वर्ग-7

Updated: Sep 3, 2023

एक ही दृष्टि में भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल का दर्शन और विवेचन


कैसा हो कि हम एक ही दृष्टि में अपना भूतकाल, वर्तमान और भविष्य एक साथ देख पायें....!

पढ़ने और देखने में तो अच्छा ही लगता है ।


पर हमें कुछ और भी समझने की जरूरत है । मेरी कई भाइयों से जब बात होती है तो एक बात मुझे भी स्पष्ट होती है; ज्योतिष को लेकर हम सबके मन में एक कल्पना रहती ही है जैसे कि, कोई हमारे बारे में ये बताये कि हम कैसे हैं, हम क्या बिजनेस या नौकरी करेंगे, या ये कि हमें कैसा पति या पत्नी मिलेगी या फिर ये कि हमारे कितने बच्चे होंगे । और ज्यादा सवाल जोड़ दें तो ये रहता है कि मेरा काम - धंधा कैसा चलेगा .... इत्यादि - इत्यादि ।


मानव स्वभाव के अनुसार ही हम सवाल पूछते हैं और अपने व्यक्तिगत स्वभाव के अनुसार ही हम सवालों की प्रकृर्ति तय करते हैं । ये सब स्वाभाविक है । हम सब ऐसा करते हैं ।


पर क्या हमें ये नहीं विचार करना चाहिए कि आखिर ऐसा होता क्यों है ? हमने आखिर वही सवाल क्यों पूछा ? हम कुछ और भी तो जानने का प्रयास कर सकते थे । पर हम ऐसा नहीं करते ।


क्या ऐसा नहीं लगता कि हम सिर्फ अपने सवाल और जवाबों में ही बंधे हुये अपने जीवन को जीने का प्रयास करते रहते हैं ?


कुछ लोग तो ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे कि उनका पूर्व जन्मों में या आगे आने वाले जन्मों में विश्वास ही नहीं है ।


खैर, सबके अपने - अपने विश्वास हैं और हम यहां किसी को चेलैंज करने के लिए ये लेख नहीं लिखते । पर इतना जानना अवश्य ही न्यायोचित होगा कि जीवन और मृत्यु तो रात - दिन के समान हैं । जैसे दिन के बाद रात्रि आती है वैसे ही जीवन जीने के बाद मृत्यु आती है । पर ये क्रम कभी रुकता नहीं है । हम लोग सैकड़ों जन्म ले चुके हैं और आगे भी लेते रहेंगे । कर्म की ये श्रृंखला न पहले रुकी थी और न आगे रुकेगी । और जब कर्म की श्रृंखला नहीं रुक सकती तो फल की भी श्रृंखला कभी नहीं रुक सकेगी ।


ज्योतिष हमको यही समझाने का प्रयत्न करती है । वो कहती है कि जो भी भविष्य में होगा वह हमारे कर्मों का ही फल होगा । और यह निश्चित है । इसको बदला नहीं जा सकता ।


अगर इसको बदला नहीं जा सकता तो हम प्रयास ही क्यों कर रहे हैं?


हम जो भी प्रयास करते हैं दरअसल वह भी हमारे कर्म का ही हिस्सा होता है । अर्थात कान को घुमाकर पकड़ें तो यह हमारे प्रारब्ध का ही हिस्सा है । हम जो भी कर्म करते हैं तो वो इसलिए क्योंकि हम उसी को करने के लिए पैदा हुये हैं । हम स्वयं से कुछ कर ही नहीं सकते ।


और जो आपने स्वयं से किया ही नहीं है तो उसके फल की आशा आप कैसे कर सकते हैं । और जो फल आपको प्राप्त हो रहा है वह तो आपको प्रारब्ध अनुसार ही है । प्रारब्ध के अनुसार वह फल तो आपको प्राप्त होना ही था, तो इसमें किसी प्रकार के गर्व या दुःख करने की आवश्यकता भी नहीं होनी चाहिए । पर हम करते हैं क्योंकि महामाया अपनी काल शक्ति से हमें उन खुशियों और दुःखों का अनुभव कराती है जो हमें इस जन्म में करना है । हम इससे पार जा ही नहीं सकते ।


तो फिर सवाल यह आता है कि जब हम इससे पार जा ही नहीं सकते तो फिर ये सारा भाषण किसलिए दिया जा रहा है???


मेरे भाई! ये इसलिए दिया जा रहा है ताकि हम ज्योतिष के सही उद्देश्य को समझ सकें


क्या कभी हमारे मन में ये नहीं आता कि जिन गुरु ने हमें समय के आर - पास देखने का ज्ञान दिया है, क्या वो हमें समय के आर - पार नहीं ले जा सकते?


बिलकुल ले जा सकते हैं मेरे भाई! जिन गुरु ने हमें समय के आर - पास देखने की शक्ति दी है, वह गुरु हमें समय के आर - पार भी ले जा सकता है । पर उसे गुरु मानकर उसके चरणों में झुको तो सही । उनसे प्रार्थना तो करो कि हे गुरुदेव! मुझे इस माया संसार से बाहर निकलने का रास्ता तो दिखायें ।


पर हम सही सवाल तो उनसे करते नहीं, वरन, अपनी इच्छाओं का भार उनके ऊपर थोप देना चाहते हैं । हम चाहते हैं कि जो हम चाहें, सदगुरुदेव हमें जीवन में वही प्रदान करें । और इस प्राप्ति के लिए हम न जाने कितनी साधनायें करते हैं, जप करते हैं, तप करते हैं .... । बाद में दोष देते हैं कि इन साधनाओं का फल नहीं प्राप्त होता, सब झूठ है, पाखंड है ।


पर हम नहीं समझ पाते हैं कि इन कर्मों की आड़ में नियति हमसे वही करवाती रहती है, जिसे करने के लिए हम पैदा हुये हैं । हम सब, वही करते हैं, करते रहते हैं और एक दिन मर जाते हैं । और सदगुरुदेव, वो तो हमारे कर्मों का बहुत सारा बोझ ये झेलते हुये ही जीवन बिता देते हैं कि एक दिन उनका शिष्य उनके सामने आकर सही सवाल पूछेगा और वो उसे सही रास्ता दिखा सकेंगे ।

पर होता कुछ और ही है । जन्म - मरण का ये चक्र चलता ही रहता है । हमारे चक्कर में गुरु को भी बार - बार शरीर धारण करके इस धरती पर आना पड़ता है । जाने - अनजाने हम सब उस सद्गुरु को कष्ट पहुंचाते रहते हैं जिसको हम अपने सबसे करीब होने का दावा करते रहते हैं ।


ज्योतिष हमको यही सब समझाने का प्रयत्न करती है । काश आप समय रहते समझ पायें ।

 

खैर, आज हम अपनी उदाहरण कुंडली, सियाराम कुमार की जन्म कुंडली के माध्यम से उनके दस वर्षों का वर्ष लग्न कुंडली बना रहे हैं ताकि इन दस वर्षों में उनकी ग्रह स्थिति पता चले सकें -






सियाराम कुमार की वर्ष 2018 से वर्ष 2027 तक की वर्ष लग्न कुंडलियां

अगर हम सभी वर्ष लग्न कुंडलियों को एक ही टेबल में समाहित कर दें तो वह कुछ इस प्रकार दिखेगी -


सियाराम कुमार की वर्ष 2018 से 2027 के बीच ग्रहों की स्थिति

इस टेबल में जो अंक दिये गये हैं वह दरअसल राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं । ये सब क्रम से हैं । अर्थात अगर कहीं पर 1 अंक आया है तो उसका मतलब है कि मेष राशि और अगर कहीं पर 8 का अंक आया है तो वह वृश्चिक राशि है । इसी प्रकार से बाकी अंक हैं ।


अब अगला काम है कि इन ग्रहों की स्थिति के हिसाब से हम प्रत्येक वर्ष का अष्टक वर्ग बनायें । और हमें ये अष्टक वर्ग, वर्ष 2018 से वर्ष 2027 तक बनाने हैं । इसके लिए हमें अपने मूल सर्वाष्टक वर्ग से मात्र ये जानना होगा कि कौन सा ग्रह किस राशि में जाने पर कितनी शुभ रेखायें देता है और हम उसी के अनुसार अपना (वर्ष 2018 से वर्ष 2027 तक का) सर्वाष्टक वर्ग बना सकेंगे । सियाराम कुमार के लिए ये 10 वर्ष का सर्वाष्टक वर्ग है जो निम्न प्रकार है -



सियाराम कुमार का वर्ष 2018 से वर्ष 2027 तक का सर्वाष्टक वर्ग

चूंकि शुभ रेखाओं का मतलब समझने में थोड़ा अभ्यास और धैर्य की आवश्यकता होती है इसलिए हम यहां पर इस सर्वाष्टक वर्ग को रंगों के माध्यम से हाईलाइट करके समझने का प्रयत्न करेंगे ।

सियाराम कुमार का वर्ष 2018 से वर्ष 2027 तक का सर्वाष्टक वर्ग (रंगों के माध्यम से अच्छी और खराब परिस्थितियों का विवेचन)

यही है वह जगह जहां पर खड़े होकर हम अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य को एक साथ देख पा रहे हैं । हमने सर्वाष्टक वर्ग की शुभ रेखाओं के बारे में पहले ही जान लिया है । अतः हम एक ही बार में ये जान सकते हैं कि हमारा पूरा वर्ष मौटे तौर पर कैसा गुजरने वाला है ।


इसी चीज को हम ग्राफ द्वारा भी देख सकते हैं -

सियाराम कुमार का 10वर्षों का जीवन ग्राफ द्वारा

ग्राफ पूरी तरह से साफ न दिखाई दे तब भी कोई बात नहीं है । क्योंकि आज आप सबकी बहु प्रतीक्षित Excel Sheet भी यहीं अपलोड़ कर दी गयी है । उसमें आपको सब साफ दिखाई देगा । वैसे तो उसमें आप सिर्फ अपनी जन्म कुंडली के ग्रहों की स्थिति भर दीजिए, बाकी तो सब कैलकुलेशन आपके लिए हो ही जाएगी पर अगर फिर भी कुछ समझ न आये तो हम किसी दिन ऑनलाइन मीटिंग के माध्यम से समझ लेंगे । आप पोस्ट के नीचे टिप्पड़ी में अपनी राय से अवगत करा दीजिए ।


यहां जो बात ध्यान देने योग्य है वह ये हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए इन अंकों का मतलब अलग होता है । हमको अपने जीवन में इन अंकों के साथ खुद को रिलेट करना चाहिए । किस अंक की उपस्थिति में हमारे जीवन में किस प्रकार की घटनायें हुयी थीं, उनको समझना बहुत जरुरी है । क्योंकि भविष्य में जब वही अंक सामने आयेगा तो उन घटनाओं की विभिन्न स्वरुपों में पुनरावृत्ति हो सकती है । अगर अच्छा है तब तो कोई बात नहीं पर अगर, ग्रह स्थिति के अनुसार फल खराब है, तो हमें उसकी तैयारियों में लग जाना चाहिए । ताकि हम पहले से ही अपने आप को तैयार कर सकें ।


ध्यान रखिये, ये सीरीज काल ज्ञान को लेकर है । ज्योतिष हमें अपने काल क्रम को समझने का मौका देती है । परंपरागत ज्योतिष से इतर आपको यहां पर अपने स्वयं के बारे में जानने का मौका एक बिलकुल ही अलग तरह से मिलेगा । उसे पहचानिये और आगे बढ़िये ।


बाकी का जीवन आपकी राह देख रहा है ।

:)

क्रमशः...

 

अष्टक वर्ग की गणना करने के लिए Excel Sheet आप यहां से डाउनलोड़ कर सकते हैं ।



 

इस लेख की PDF फाइल आप यहां से डाउनलोड़ कर सकते हैं -



 

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