जीवन न तो अपने हाथ में न कल था, न आज है, न ही कल होगा । जीवन की घटनाओं पर भी हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, अलबत्ता विचारों पर नियंत्रण का प्रयास हम अवश्य कर सकते हैं लेकिन यह कार्य अच्छे - अच्छे साधकों के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण विषय रहा है ।
एक सामान्य व्यक्ति लगभग सब समय काल शक्तियों द्वारा प्रदान किये गये विचारों की भूल - भुलैया में झूलता रहता है । ऐसा इसलिए भी है कि काल शक्तियां विचारों के साथ - साथ उस स्तर की ऊर्जा भी प्रदान करती हैं जिसको समझना या उसकी अनदेखी कर पाना सामान्यतः संभव नहीं होता है। यही कारण है कि एक लेखक अपने में डूबा हुआ तब तक लिखता रहता है जब तक वह ऊर्जा उसके मस्तिष्क में बनी रहती है, एक सैनिक तब तक लड़ता रहता है जब तक कि उसका उद्देश्य पूरा न हो जाए या सामान्य अर्थों में देखा जाए तो एक व्यक्ति किसी काम को तब तक करता ही रहता है जब तक वह कार्य पूरा न हो जाए ।
अब ये कार्य अच्छे भी हो सकते हैं और सामाजिक दृष्टिकोण से खराब भी हो सकते हैं ।
अगर काल शक्तियों से प्रारब्धवश रचनात्मक ऊर्जा प्राप्त हुयी है तो यह आपको यश और सम्मान का अधिकारी बना देती है । और, अगर यही ऊर्जा विध्वंसकारी है तो व्यक्ति अपमान और दंड का भी भागी बनता है । किसी भी परिस्थिति में भोग तो भोगना ही पड़ेगा । पर क्या हो अगर हम इस ऊर्जा को नियंत्रित कर पाने में सफल हो जाएं । सदगुरुदेव महाराज ने समय - समय पर एक से बढ़कर एक अद्भुत साधनाओं को प्रदान किया है, उन्हीं में से एक है लामा पद्धति पर आधारित वह विशेष मंत्र जिसके माध्यम से काल शक्तियों के प्रभाव को तत्क्षण कम किया जा सकता है -
लामा पद्धति का गुरु मंत्र
।। पा में ए में हुं ।।
मात्र 5 बीजों के इस मंत्र की महिमा का बखान कर पाना कम से कम मेरे लिए तो संभव नहीं है । इस मंत्र को अपने गुरु मंत्र की ही भांति किसी भी समय या स्थिति में जप किया जा सकता है । अगर मन में कोई विकार आता है या कोई नकारात्मक विचार आता है तो इस मंत्र के 5 - 10 बार मानसिक जप से ही उस विचार पाश से मुक्ति पायी जा सकती है ।
यों भी इस मंत्र की नित्य प्रतिदिन 2 माला अपनी दैनिक साधना के समय जप करने से भी बहुत अनुकूलता रहती है ।
इस मंत्र के नियमित अभ्यास से अतींद्रिय शक्तियों का जागरण स्वतः ही होने लगता है इसलिए इस मंत्र से प्राप्त क्या होगा, ये पूरी तरह से अभ्यास पर निर्भर करता है ।
अष्टक वर्ग ज्योतिष
काल शक्तियों की इस ऊर्जा को ग्रह - नक्षत्र नियंत्रित करते हैं । प्रत्येक ग्रह - नक्षत्र का कोई न कोई अधिपति देवी या देवता होता है जो इस बात को तय करते हैं कि व्यक्ति के इस जीवन में किस प्रकार की कितनी ऊर्जा प्रदान की जाए ।
काल क्रम का ये जटिल गणित एक सामान्य मनुष्य के लिए जान पाना लगभग असंभव है लेकिन हमारे पूर्वजों ने ज्योतिष के रुप में इस गणना को बहुत हद तक स्पष्ट कर दिया था । अष्टक वर्ग ज्योतिष पर लगभग पिछले एक वर्ष से टेलीग्राम पर सेशन हो रहे हैं । अब तक सैकड़ों भाई - बहनों ने इन सेशन के माध्यम से लाभ उठाया है । फिर भी ये श्रृंखला तो चलती ही रहनी चाहिए । बहुत से भाई - बहनों ने आग्रह किया था कि अगर संभव हो तो अष्टक वर्ग की गणनाओं पर एक बार और सेशन हो जाएं तो अति उत्तम होगा । इसी वजह से अष्टक वर्ग के सभी सेशन शुरुआत से होने जा रहे हैं ।
अगर आप किसी वजह से आप अभी तक अष्टक वर्ग के सेशन नहीं ले पाये हैं या इस नये सिरे से सीखना चाहते हैं तो आगामी रविवार (अक्तूबर 8, 2023) से इस श्रृंखला को फिर से शुरु किया जा रहा है । हालांकि इसके लिए आपको सेशन बुक करना होगा और एक सांकेतिक शुल्क (₹21 मात्र) चुकाना होगा । शुल्क रखने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि वही लोग ज्वॉइन करें जो ज्योतिष सीखने के लिए गंभीर हैं । सेशन को आप इस यहां बुक कर सकते हैं -
Session 1 (2023)
जब आप सेशन बुक कर लेंगे, तब आपको ईमेल प्राप्त होगा । रविवार को होने वाले वीडिओ सेशन की लिंक भी उसी में मौजूद रहेगी । समय का विशेष ध्यान रखें क्योंकि लाइव वीडिओ रविवार शाम 3 बजे से चालू हो जाएगा और निर्धारित समय यानी शाम को 4 बजे स्वतः ही बंद हो जाएगा । प्रत्येक रविवार को मात्र 1 घंटे के इस सेशन के माध्यम से आप ज्योतिष की बारीकियां सीख सकेंगे ।
जो लोग पहले भी अष्टक वर्ग पर सेशन ले चुके हैं उनको तो इन सेशन को फिर से ज्वॉइन करना ही चाहिए ताकि इस विद्या पर पकड़ और भी मजबूत हो सके ।
इसके अलावा आपको निखिल ज्योति वेबसाइट पर ही अष्टक वर्ग ग्रुप भी ज्वॉइन कर लेना चाहिए ताकि ज्योतिष पर चर्चा भी समय - समय पर की जा सके । यहां समय - समय पर ज्योतिष से जुड़े गोपनीय तथ्य भी साझा किये जाएंगे । आप ग्रुप यहां से ज्वॉइन कर सकते हैं -
ग्रुप ज्वॉइन करना निशुल्क है ।
आयुर्वेद और हमारा जीवन
आज हम बात करेंगे एक ऐसे पौधे की जो प्रकृति में स्पायरुलिना के नाम से जाना जाता है । इसको साइनोबैक्टीरिया भी कहते हैं - दरअसल ये पौधों और जंतुओं के बीच की कड़ी है । पोषक तत्वों से भरपूर इस स्पायरुलिना में भरपूर एनर्जी होती है । अगर आप सुबह - सुबह थके हुये महसूस करते हैं या भोजन से आपकी ऊर्जा की पूर्ति नहीं हो पाती है तो आपको स्पायरुलिना का प्रयोग अवश्य करना चाहिए ।
बाजार में हजारों कंपनियां इस स्पायरुलिना का उत्पादन करती हैं । मैंने लैबोरेटरी से भी स्पायरुलिना मंगवाकर देखा है, बहुत सस्ता मिल जाता है लेकिन जो रिजल्ट DXN के स्पायरुलिना के प्रयोग से मिलते हैं, वह और कहीं नहीं मिल सके हैं । ये भी एक वजह है कि निखिल ज्योति के स्टोर पर आपको बहुत सारे प्रोडक्ट DXN ब्रांड के ही मिलेंगे ।
स्पायरुलिना, कैप्सूल में भी बनाया जाता है और टैबलेट की तरह भी । आपको जो पसंद हो लेकिन, ध्यान देने वाली बात ये है कि ये दवा नहीं है ।
वैसे तो इसके फायदे बहुत सारे हैं लेकिन मैं कुछ का जिक्र यहां कर देता हूं -
सुबह - सुबह खाली पेट 3 - 4 कैप्सूल या टैबलेट लेने से आप दिन भर ऊर्जावान रहेंगे । थकान का असर बहुत हद तक कम हो जाता है ।
अगर Reishi Gano Tea का भी साथ में प्रयोग करते हैं तो इससे रक्त चाप और मधुमेह (शुगर) की समस्या पर काबू पाने में मदद मिलती है ।
इसके 4 कैप्सूल या टैबलेट से लगभग इतनी ऊर्जा मिल जाती है जितनी लगभग 1 किलो पालक खाने से मिलती है । इसलिए निश्चिंत होकर इसका सेवन कर सकते हैं ।
अगर तैलीय भोजन ज्यादा कर लिया है तो इसके 2 कैप्सूल खा लीजिए, ये सारा भोजन पचा देगा । इसका कारण यहीं है कि स्पायरुलिना में प्राकृतिक रुप से बहुत सारे एंजाइम मौजूद होते हैं जो आपके भोजन को पचाने में मदद करते हैं ।
स्लिप डिस्क की समस्या, लगातार रहने वाले बुखार, कमजोरी इत्यादि समस्याओं में स्पायरुलिना के नियमित सेवन से बहुत राहत मिलती है ।
आप इसे बच्चों को खिला सकते हैं, युवा लोग खा सकते हैं और बुजुर्ग लोग भी इसका सेवन कर सकते हैं । यहां तक कि गर्भवती स्त्रियां भी अगर स्पायरुलिना का सेवन करें तो ये शरीर में आयरन की कमी को दूर कर सकता है ।
लिखने को तो बहुत कुछ है पर आनंद तभी है जब लोग इसको प्रयोग करके स्वयं ही बतायें कि इसके क्या - क्या फायदे हुये हैं ।
मैं यहां लिंक दे रहा हूं -
आप स्पायरुलिना को कम से कम 1 बार तो अवश्य प्रयोग करके देखें और अपने अनुभवों को सबके साथ शेयर करें ।
आप सब अपने जीवन में सभी प्रकार के पाशों (बंधनों) से मुक्त हो सकें, नित नूतन विद्या प्राप्त कर सकें और अपने शरीर को स्वस्थ रख सकें, ऐसी ही शुभेच्छा है ।
अस्तु ।