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सदगुरु कृपा विशेषांक - क्रिया योग विशेषांक

Updated: Aug 5


भाग 1 - मंत्र दिशा ज्ञान एवं कर्म फल भुगतान प्रणाली


क्रिया योग - ये एक ऐसा विषय रहा है जो सदियों से लोगों को बहुत आकर्षित करता रहा है । देखने वाली बात ये है कि इस विद्या के जितने भी आचार्य हुये हैं, किसी ने भी इस विद्या को सार्वजनिक रूप से सिखाया भी नहीं है, ये केवल गुरु - शिष्य परंपरा के माध्यम से ही आगे बढ़ती आयी है । और, आगे भी ऐसा ही होगा ।


तो सवाल ये भी है कि मैं क्यों सिखाने जा रहा हूं - इसका जवाब यही है कि मैं भी आपको क्रिया योग का केवल वह पहलू सिखाउंगा जो आपके लिए जरूरी है । यानि, अपने आपको साधना एवं भौतिक जीवन से कैसे जोड़ सकते हैं और, क्रिया योग के जिस स्वरूप को हम सीखने जा रहे हैं वह हैं - क्रिया मंत्र योग अर्थात मंत्र के माध्यम से किसी कार्य में पूर्णता प्राप्त करना ।


क्रिया मंत्र योग वैसे तो अपने आप में बहुत जटिल है और बिना गुरु की कृपा के नहीं सीखा जा सकता है, और इसमें भी व्यक्तिगत रुप से निरंतर साहचर्य की जरूरत पड़ती है, हरेक पड़ाव पर साधक का हाथ थामे रखना पड़ता है तब जाकर चेतना के उस स्तर को प्राप्त किया जा सकता है जहां पर जाकर किसी साधक को ये पता चलता है कि मंत्र आखिर काम कैसे करते हैं ।


इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण तथ्य और भी है जो वैसे जरूरी तो नहीं है लेकिन अगर गुरु कृपा करें और साधक भी सचेत रहे तो परम सत्य का बोध भी इसी प्रक्रिया में हो ही जाता है । यही वह क्षण है जब साधक ये अहसास कर पाता है कि किसी कार्य के लिए किस शक्ति या विद्या का प्रयोग किया जाता है । और, जब तक इस प्रक्रिया से साधक गुजर नहीं जाता, तब तक आध्यात्मिक पथ पर प्रगति बहुत धीरे - धीरे ही हो पाती है ।


इसलिए, क्रिया मंत्र योग पर हम लोग आगे चर्चा करें उससे पहले दो विषयों पर चर्चा करना उचित रहेगा -

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