सदगुरु कृपा विशेषांकः मुझे मृत्यु चाहिए
- Rajeev Sharma
- Mar 27, 2022
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Updated: Aug 7
मणिपुर भेदन स्तोत्र
मेरे अपने जीवन का अनुभव और सार है कि सदगुरुदेव न जाने किस - किस प्रकार से, कैसे - कैसे टेढ़े - मेढ़े रास्तों से निकालकर शिष्य को बाहर लाते हैं कि बस...इस बात को या तो गुरु ही जानते हैं या शिष्य । और, यहीं से गुरु और शिष्य के बीच का जो संबंध है, वह माता और शिशु के समान हो जाता है । ऐसा शिष्य परम ज्ञानी होते हुए भी गुरु के समान शिशुवत ही हो जाता है और जैसे 2 साल का बच्चा माता को पाने के लिए आंखों में आंसू लिए तब तक रोता रहता है जब तक उसकी मां उसे गोद में न उठा ले, उसी प्रकार से शिष्य भी तब तक स्वयं को संभाल ही नहीं सकता जब तक गुरु उसके सिर पर प्रेम से हाथ न फेर दें ।
पर ऐसे शिष्य का स्वयं का कोई अस्तित्व नहीं होता है । सही अर्थों में देखा जाए तो उसने इसी जीवन में ही उस मृत्यु को प्राप्त कर लिया होता है जहां पर परम शांति होती है और जहां पहुंचकर ही गुरु कृपा और गुरु सत्ता का सही अर्थों में अनुभव किया जा सकता है ।
वैसे, मृत्यु एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर ज्यादातर लोग भयभीत ही हो जाते हैं पर मेरी राय में इससे खूबसूरत शब्द हो ही नहीं सकता । हालांकि, मृत्यु शब्द स्वयं में ही एक जटिल शब्द है इसलिए प्रत्येक साधक या शिष्य को मृत्यु विषय पर चिंतन अवश्य करना चाहिए, इससे आध्यात्मिक उन्नति का भी रास्ता प्रशस्त होता है ।
मेरी राय में मृत्यु 3 प्रकार की होती है -
पहली प्रकार की मृत्यु वह है जब हम सांसारिक बाधाओं से घिरे रहते हैं, अत्यंत परेशान और दुःखी रहते हैं, पग - पग पर अपमान झेलना पड़ता है या फिर जब हमारे जीवन का अधिकतर समय केवल चिंताओं के चिंतन में गुजरता रहता है । इस प्रकार का जीवन एक प्रकार से अभिशप्त जीवन ही कहलाता है और, ये इस प्रकार का जीवन है जब व्यक्ति रोज मरता है ।
दूसरी प्रकार की मृत्यु वह है जब हम अपनी देह का त्याग कर देते हैं । तब इस संसार के बंधनों से पीछा तो छूट जाता है लेकिन कर्म - फल की श्रृंखला से पीछा फिर भी नहीं छूट पाता । वह तो जन्म-जन्मांतरों तक हमारे साथ ही चलता रहता है । इस प्रकार की मृत्यु दरअसल पहले प्रकार की मृत्यु से कुछ खास अलग नहीं होती है । कई मायनों में वह पहले प्रकार की मृत्यु से भी बदतर होती है । उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति ने अगर अपने जीवन की परेशानियों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली तो वह देह तो छोड़ देगा लेकिन बहुत संभव है कि उसे अगला जन्म लेने में और भी बहुत वर्षों का इंतजार करना पड़े । ये भी हो सकता है कि उसे किसी और योनि में धकेल दिया जाए; प्रेत योनि, ब्रह्म राक्षस, भूत इत्यादि सब इसी के उदाहरण हैं ।



