ये जानना बड़ा ही दिलचस्प है कि कुंडली में कौन से ग्रह हमें शुभ फल प्रदान कर सकते हैं और कौन से ग्रह अशुभ फल प्रदान करेंगे । वैसे तो ये कार्य जटिल है लेकिन शुरुआत के लिए, आप एक आसान सा सूत्र सीख लीजिए - जो शुभ ग्रह होते हैं वह शुभ फल प्रदान करते हैं और जो पाप ग्रह हैं वह अशुभ फल प्रदान करते हैं ।
शुभ ग्रह
चंद्र, बुध, शुक्र, केतु और बृहस्पति ये क्रम से अधिकाधिक शुभ ग्रह माने गये हैं ।
पाप ग्रह
सूर्य, मंगल, शनि और राहु क्रम से अधिकाधिक पाप ग्रह माने गये हैं । अर्थात् सूर्य से मंगल अधिक पाप ग्रह है, मंगल से शनि और शनि से राहु अधिक पाप ग्रह है । किसी किसी आचार्य ने क्षीण चंद्र को भी पाप ग्रह माना है ।
शुभ ग्रह कुंडली में शुभ फल प्रदाता होते हैं और पाप ग्रह अशुभ फल देने वाले होते हैं ।
इसके अलावा एक और सूत्र हमें सीख लेना चाहिए कि ग्रहों के उच्च स्थिति में होने पर या नीच राशिस्थ होने पर भी ग्रहों के प्रभाव शुभ या अशुभ हो सकते हैं ।
।। उच्च ग्रह एवं नीच ग्रह ।।
उच्च - नीच ग्रहों के बोध से कुण्डली का फलादेश स्पष्ट और प्रमाण पूर्वक किया जा सकता है । यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य मेष राशि में 10 अंशों तक का हो तो उच्च का कहलायेगा । 10 अंशों से अधिक अंशों का होने पर वह सूर्य साधारण श्रेणी में ही गिना जाएगा । इसी प्रकार तुला राशि में भी 10 अंशों तक ही सूर्य नीच का रहता है । इससे अधिक अंशों का सूर्य निर्मल सूर्य माना जाएगा ।
नीच राशिस्थ ग्रह जातक को अशुभ फल प्रदान करता है ।
आजकल तो सॉफ्टवेअर से भी कुंडली तैयार हो जाती हैं और उनमें पहले या दूसरे पेज पर ही जातक के जन्म के समय ग्रहों के अंश और राशियां भी दी होती हैं । उसे देखकर आप आसानी से जान सकते हैं कि जातक की जन्म कुंडली में कोई ग्रह उच्च का है या नीच का है ।
ध्यान देने वाली बात ये है कि हम आपको कुंडली बनाना नहीं सिखा रहे हैं बल्कि उसे समझना बता रहे हैं, इसलिए इन तथ्यों को किसी डायरी में नोट करते रहिए ताकि जरूरत पड़ने पर आप आसानी से जान सकें कि ग्रहों की उच्च या निम्न स्थिति को कैसे देखते हैं ।
अगली पोस्ट में हम जन्म कुंडली के भावों के नाम जानेंगे । आपने सुना होगा कि कभी - कभी ज्योतिषाचार्य कुंडली के विश्लेषण के समय पणफर, त्रिकोण या त्रिक स्थान जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं । कुछ शब्द जैसे कि द्रव्येश, पराक्रमेश, पंचमेश, कष्टेश इत्यादि भी प्रयोग किये जाते हैं जिसको आम जनमानस नहीं समझ पाता है । तो इन्हीं शब्दों से परिचय अगली पोस्ट में होगा ताकि आप भी ज्योतिषाचार्यों की भाषा शैली को समझकर अपने ज्योतिष के फलकथन को अपनी व्यावहारिक जीवन में अपना सकें । आसान ही है, बस एक - दो बार पढ़ने मात्र से समझ लेंगे ।
अस्तु ।
ज्योतिष पर यह पोस्ट आपको रोचक लगी या नहीं?
Yes
No
🌹
This is deap knowledge step by step good effort bhai
Jai gurudev 👌👌👌