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गुप्त नवरात्रि और माला सिद्धि विधान-1

Updated: Sep 3, 2023

सर्व विद्या साध्य कामना पूर्ती विजय माला

“कालो अश्वो वहति सप्तरश्मि: सहस्राक्षो अजरो भुरिरेता:

तमारोहन्ति कवयो वियश्चितस्तस्य चक्रा भुवनानि विश्वा ।।”


अर्थात, काल सात रस्सियों वाला और हजारों धुरियों को चलाने वाला तथा निर्जरादेह से युक्त और अमर है । वह महाबली अश्व के समान निरंतर अपने पथ पर दौड़ रहा है । समस्त संसार, उत्पन्न पदार्थ तथा जीव आदि उसके इसी चक्र में फंसकर घूम रहे तथा उसे पार नहीं कर पा रहे हैं...मात्र स्थिरप्रज्ञ, ज्ञानी और मन की आसक्ति से मुक्त साधक ही इस काल रुपी अश्व की सवारी कर इससे परे जा सकते हैं या साध सकते हैं ।


कुछ ऐसा ही तो है एक साधक का जीवन, जहां वो लगातार प्रयास करता रहता है, काल के रहस्यों से परिचित होने का । किन्तु बिना उचित परिश्रम, सतत अभ्यास और प्रामाणिक मार्गदर्शन के ऐसा होना मात्र कपोल कल्पना ही कहलाती है । किन्तु इसके साथ साथ ये भी ध्यान रखना आवश्यक है कि साधक को काल के उपयुक्त क्षणों का ज्ञान भी हो, अतः किन क्षणों का कैसा प्रयोग करना है, उनमें किन क्रियाओं को पूर्णता दी जा सकती है, ये जानकारी भी होना आवश्यक है ।


मानस तो बना था कि उन महत्वपूर्ण साधनाओं पर चर्चा की जाती जो सदगुरुदेव ने दशकों पहले ही प्रदान कर दी थीं; वरिष्ठ गुरुभाइयों के स्नेहवश वो हमें भी प्राप्त हुयीं । लेकिन अभी तैयारी अधूरी है ।


पिछला आलेख आपने आसन सिद्धि पर आत्मसात किया । पर जनाब, अभी तैयारी पूरी नहीं है । जब भी हम किसी साधना में बैठते हैं तो आसन के अलावा दूसरे महत्वपूर्ण उपकरण होते हैं माला और यंत्र । यंत्र पर अगले आलेखों में चर्चा की जाएगी, पहले माला पर बात की जाए ।


प्रत्येक बार जब भी साधना में बैठते हैं तो क्या हर बार एक नयी माला...!?


कभी मन में ऐसा विचार नहीं आया कि काश कोई ऐसी भी माला बनायी जा सकती, जिससे लगभग सभी साधनाओं को संपन्न किया जा सकता?


जो लोग गुरुधाम से यंत्र और माला मंगा लेते हैं, उनके लिए तो ठीक है । पर उनका क्या जो किसी कारणवश यंत्र और माला से वंचित रह जाते हैं या ऐसा भी होता है जब आपके पास इतना समय ही नहीं होता कि आप यंत्र और माला किसी प्रामाणिक जगह से मंगा सकें । तब क्या?


इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुये पूज्य सदगुरुदेव ने अपने शिष्यों के लिए पूर्ण शक्ति प्राप्ति के लिए “सर्व विद्या साध्य कामना पूर्ति विजय माला” का विधान दिया था, जो हमें हमारे वरिष्ठ गुरुभाइयों से स्नेहवश ही प्राप्त हुआ है । धन्य हैं वे सभी वरिष्ठ गुरुभाई, जिन्होंने इन दुर्लभ विधानों को अपने अनुजों को देने में कभी कंजूसी नहीं बरती ।

इस बार २5 जनवरी से 3 फरवरी तक का काल अद्भुत है...विविध साधनाओं को सिद्ध करने के लिए पूर्ण सफलता प्रदायक है | यह विशिष्ट समय है गुप्त नवरात्रि का ।


क्या इससे अद्भुत मुहूर्त साधना के लिए प्राप्त हो सकता है? हम मात्र एक साधना ही इस गुप्त नवरात्रि में कर पाएंगे...किन्तु यदि हम उपरोक्त माला को पूर्ण सिद्ध कर लें तो जन्म -जन्मांतर की साधनाओं में सफलता हेतु और आने वाली पीढ़ी के लिए भी ये माला एक धरोहर के रूप में उपस्थित रहकर सिद्धि प्रदान करती रहेगी । ये कोई सामान्य माला नहीं है, अपितु इसके महात्म्य का वर्णन करना संभव नहीं है, फिर भी निम्न विशेषताओं का मैं उल्लेख करना चाहूंगा –

  1. मनोकामना पूर्ती के लिए पूर्ण सहयोगी

  2. सम्मोहन शक्ति से युक्त करने में लाभकारी

  3. आत्मविश्वास वृद्धिकारक

  4. अकालमृत्यु और दुर्घात से बचाने वाली

  5. संतान सुख देने में समर्थ

  6. मनोवांछित व्यवसाय या नौकरी की प्राप्ति हेतु

  7. मनोवांछित जीवन साथी प्राप्ति हेतु

  8. सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति हेतु

  9. काम तत्व पर पूर्ण नियंत्रणकारी

  10. ऐश्वर्य प्रदात्री

  11. स्मरण शक्ति में वृद्धि कारक

  12. एकाग्रता शक्ति और ध्यान क्षमता की अभी वृद्धि करने में सक्षम

  13. तंत्र बाधा निवारण हेतु

  14. सुरक्षा चक्र प्राप्ति हेतु

  15. तंत्र साधनाओं में निश्चित सफलता दायक

  16. विविध साधनाओं में पूर्ण सफलता प्रद

इस एक ही माला से विविध साधनाएं की जा सकती है, और उसका विसर्जन अनिवार्य नहीं है, अपितु प्रत्येक साधना के बाद इसकी शक्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जायेगी । और इसे धारण करना ही पूर्ण सौभाग्य दायक है


क्या आपको लगता है कि इसके निर्माण से महत्वपूर्ण कुछ भी हो सकता है, वो भी स्वयं के हाथों ही इतनी महत्वपूर्ण क्रिया संपन्न करने से..! कालानुसार अब समय आ गया है कि सामग्रियों की प्रतिष्ठा और उनमें चेतना का प्रवाह करने की क्रिया का ना सिर्फ हमें ज्ञान हो अपितु, उसे हम स्वयं ही संपादित भी कर सकें ।


साथ ही पूर्ण तंत्र साफल्य मंत्र को भी इसी काल में हमें अंगीकार कर सिद्ध करना है | हम इस बहुमूल्य समय को अपने जीवनोत्थान हेतु उपयोग कर सकते हैं । और, एक बार जब हम इन दोनों क्रियाओं को पूर्ण रूपेण सिद्ध कर लेते हैं, तो आगे का साधना जीवन भय और असफलता की नकारात्मकता से सदैव सुरक्षित रहता है..


(क्रमशः)...

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