चैत्र नवरात्रि विशेषांक
- Rajeev Sharma
- Apr 11, 2021
- 6 min read
Updated: Aug 7
हिंदू नववर्ष पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें, चैत्र मास की नवरात्रि के साथ ही शुरु होने वाले इस नववर्ष में आप सभी इस कोरोना वायरस के दौर में भी सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें, यह नया वर्ष आप सभी के लिए सफलता के नये मार्ग प्रशस्त करें, ऐसी ही शुभकामना है ।और इससे बढ़कर, सदगुरुदेव का आशीर्वाद सभी गुरुभाई-बहनों पर बना रहे, ऐसी ही कामना करता हूं ।
पिछली पोस्ट से अब तक लगभग 2 महीने का समय बीत चुका है, बहुत से गुरुभाइयों ने व्यक्तिगत रुप से पूछा है कि आखिर क्या बात है, अब पोस्ट करने में इतना समय क्यों लग रहा है...!
सबके अपने प्रश्न हैं पर जब से सद्गुरु कृपा विशेषांक की साधनाओं को सामने रखा गया है तबसे एक संतुष्टि का भाव मन में रहा है कि जो साधनायें इतनी उच्च कोटि की हैं और अब गुरु भाइयों के बीच रख दी गयी हैं, उनके होते हुये तो जीवन में किसी प्रकार की असफलता या अभाव का रहना असंभव ही है । ब्रह्मांड की उच्चतम साधनायें जो एक गृहस्थ व्यक्ति के लिए भी उतनी ही उपयोगी और आसान हैं जितनी किसी सन्यासी के लिए, तो, उसके बाद कहने के लिए शेष कहां रह जाता है :-)
हालांकि गुरु का ज्ञान भी गुरु की तरह ही अनंत होता है और सदगुरुदेव तो इतने कृपालु हैं कि अपने गृहस्थ शिष्यों के बीच गुह्यतम साधनाओं को भी हीरे - मोतियों की तरह बिखेर देते हैं । अब ये तो आपके ऊपर निर्भर है कि इन साधनाओं को परखें, इनका अभ्यास करें, जीवन को संवारें या फिर बाकी साधनाओं की तरह इनको भी कहीं संभालकर रख दें ।
ध्यान रखिये, सदगुरुदेव ने तो जीवित-जाग्रत ग्रंथ तैयार किये थे । अगर आप साधनाओं के माध्यम से जीवन को संवारना चाहते हैं तो एक भेड़ बनना छोड़ दीजिए । छोड़ दीजिए उन रास्तों को जो पहले से ही समाज ने आपके लिए तय कर रखे हैं और मंत्रों की असीम शक्ति का अहसास करना सीखिये । इसके लिए आपको कहीं हिमालय में जाने की आवश्यकता नहीं है, सब कुछ इसी समाज के बीच रहकर, अपने घर पर ही, अपने आसन पर ही, मंत्रों के अभ्यास से संभव है । नित्य प्रतिदिन के 1 - 2 घंटे भी पर्याप्त हैं ।
चूंकि इस विषय पर ब्लॉग पर पहले ही बहुत कुछ लिखा जा चुका है, इसलिए बार - बार इसको दोहराना उचित नहीं है लेकिन जैसा कि मैंने सबसे पहली पोस्ट आध्यात्म की अनंत यात्रा में कहा था इस अंतर्यात्रा पर जाने के लिए कोई आपसे कहने नहीं आयेगा, सिवाय गुरु के । केवल गुरु ही वह व्यक्तित्व हैं जो आपके हर जन्म में आपको आवाज देते हैं, आपका आवाहन करते हैं कि इस माया के भंवर से बाहर निकलना है तो गुरु का हाथ थाम लो । थाम लो इस प्रकार कि, फिर गुरु आपको इस माया से बाहर निकाल ही लें ।



