आवाहन - भाग 1
वरिष्ठ गुरुभाइयों से जीवन में बहुत कुछ प्राप्त हुआ है और आज भी प्राप्त हो ही रहा है । हालांकि, कुछ लोग समय से पहले ही इस दुनिया को अलविदा कहकर चले गये, कुछ का साथ आज भी मशाल बनकर रास्ता दिखा रहा है । आवाहन की श्रृंखला भी उन्हीं वरिष्ठ गुरुभाई को समर्पित है जो आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हमने आज भी संजो कर रखी हैं । वरिष्ठ गुरुभाई आरिफ ख़ान जी ने जो कुछ भी आवाहन पर लिखा था उसे इस श्रृंखला के रुप में यहां पोस्ट किया जा रहा है - ये तो बस श्रद्धांजलि है उनके लिए ।
एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी आलेख है । मेरा मानना है कि सिर्फ इसी आलेख को पढ़ कर भी कई रहस्य सामने आ ही जाते हैं ।
भूतनाथ मंदिर की सीढ़ियों पर खिन्न सा बैठा हुआ मैं अतीत में बिखरी हुयी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रहा था. कुछ दर्शनार्थी मुझे अजीब नज़रों, संदेहास्पद नज़रों से देखते हुए जा रहे थे. पिछले डेढ़ महीने से वे मुझे रोज शाम को यहीं बैठा हुआ पाते थे, अपने आप में खोया हुआ सा. पता नहीं था कि मैं कहां से शुरुआत करूं उन बीते हुए पल के रहस्यों को खोजने की…कहते हैं, किसी भी कहानी की शुरुआत या अंत होता ही नहीं, तो फिर मेरी कहानी अपने अधूरे अंत पर कैसे अटक गयी?
कुछ महीनों पहले की ही तो बात है जैसे, घुंघराले लाल केश, अंडाकार चेहरा, उसमें जो हजारों राज़ समाये हुए, ज़ाहिर करने को बेताब सी भूरी आँखें, और कुछ लम्बाई लिए सांचे में ढला हुआ उसका पूरा कद, देखने पर ऐसा लगे कि जैसे पृथ्वी लोक में ये सौंदर्य संभव ही कहां? और सही तो था, स्थूल जगत की वो थी ही कहां…पर ये कैसे संभव हे कि अस्तित्व हो ही नहीं उसका, जब कि अस्तित्व तो था ही उसका। पर शून्य में बनी इमारत में रहा कैसे जा सकता है???…और फिर कोशिश करने लगा रोज की तरह कि आखिर हुआ क्या था।
आत्मा आवाहन में अतीन्द्रिय जागरण के बाद की जो स्थिति है वो है सूक्ष्म जगत में प्रवेश ।
स्थूल जगत और सूक्ष्म जगत में यूं तो कोई ज्यादा भेद नहीं है। धरातल भी एक ही है दोनों की। मगर सूक्ष्म जगत में वायु तत्व और जल तत्व का अस्तित्व न्यून होता है। अशरीरीओं के लिए बना हुआ वह सूक्ष्म जगत, यूँ तो बेहतर यह रहेगा कि कहा जाए कि उनके लिए भी ये जगत हे जो किसी भी वक्त स्थूल शरीर धारण कर लेते हैं ।
अतीन्द्रिय जागरण के बाद त्रिनेत्र आंतरिक त्राटक के अभ्यास से सूक्ष्म जगत में प्रवेश किया जाता है. इसी तरह कुछ दिनों के अभ्यास मात्र से मैं भी सफल हो गया था सूक्ष्म जगत में प्रवेश करने के लिए। वहां पर निवास करती हुयी कई आत्माओं से जाना करता था, उनके जगत के बारे में। कई विशेष माहिती मिली मुझे।
सूक्ष्म जगत आत्माओं का निवास है, यही वह जगह है जहां मृत्यु और नए जीवन के बीच में आत्मा को विश्राम मिलता है। ये कोई लोक नहीं है। स्थूल जगत और सूक्ष्म जगत के बीच एक आवरण मात्र ही है। आत्मा आवाहन में सूक्ष्म लोक से स्थूल लोक में आत्मा का प्रवेश होता है, यूं तो आत्माओं में ये शक्ति रहती ही है कि वे स्थूल जगत में प्रवेश कर सकती हैं, मगर कुछ सिद्ध आत्माओं के पास कुछ ऐसी विशेष सिद्धियाँ भी होती हैं कि वे स्थूल जगत में अपना जल व भूमि तत्व को वापस बढ़ा कर स्थूल देह धारण कर लेते हैं । अभ्यास के दौरान, मैंने कई ऐसी सिद्ध आत्माओं को भी देखा जो कि वहां निरंतर गतिशील हे जिससे कि वहां की व्यवस्था सुनियत रहे। कभी कभी तो यूं भी होता है कि कोई आत्मा अपने सूक्ष्म शरीर के साथ ही प्रवेश कर जाती है स्थूल जगत में, ठीक हमारे सामने…। इस तरह की घटनाओं से, पहले तो डर लगता था लेकिन फिर धीरे धीरे कम होता गया वह डर।
ऐसे ही एक बार त्रिनेत्र त्राटक किया और पूरक करके जैसे ही सूक्ष्म जगत के निर्गद द्वार में प्रवेश किया ही था कि सामने आ गई एक अतीव सुंदरी। ऐसे लगा जैसे एक साथ हजारों कमल के फूल खिले हों। मेरे सामने देख के वो मुसकुरा दी, और बस यही शुरुआत हुयी उस कहानी की। उसने कहा मेरा नाम भावना है और मैं यहाँ पर निवास करती हूं। यूं तो मैं स्थूल जगत में भी रहती हूं।
मैंने कहा ये संभव नहीं है, वो मेरी अज्ञानता पर हंस दी और बोली कुछ भी असंभव नहीं है..। सिद्धता से कोई भी जैसे सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर सकता है बिना स्थूल देह के, उसी तरह स्थूल जगत में भी स्थूल देह में रह सकती है कुछ अशरीरी आत्माएं। कल पता चल जाएगा तुम्हें, वैसे मुझे काले वस्त्र बहुत पसंद हैं.. और वो हौले से मुसकुरा दी, और बस गायब हो गयी वह।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वापस इस स्थूल लोक में प्रवेश हुआ मेरा लेकिन जैसे मैं वहीं पर बसा हूं, पूरी रात बीत गयी, सोचता रहा उस सुंदरी के बारे में। न जाने क्या सम्मोहन कर दिया था उसकी आंखों ने मुझ पर…शायद मैं दिल के किसी कोने से उसे…नहीं ये संभव नहीं है और मैं वापस खो गया उसी मुस्कान में…कब नींद आ गयी पता नहीं… दरवाज़े पर दस्तक से आंख खुली मेरी..देखा दिन के तीन बजे हैं..दरवाज़ा खोला, वहां पर मेरा दोस्त प्रवीन था…आते ही बोला अरे भाई…आज तो तुम होते साथ में…एक ऐसी लड़की को देखा कि क्या बताऊं बस देखता ही रह गया..काले कपड़ों में, वो लाल बाल वाली लड़की…… और मुझे जैसे एक भयंकर सा झटका लगा
(क्रमशः)…..
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