यंत्र विशेषांकः प्राण प्रतिष्ठा, आत्मसामिप्यिकरण एवं प्राण सायुज्यीकरण क्रिया
- Rajeev Sharma
- Jan 21
- 6 min read
Updated: Aug 5
गुरु सायुज्य तंत्र कर्म सिद्धि मंडल
प्राण प्रतिष्ठा, आत्मसामिप्यिकरण एवं प्राण सायुज्यीकरण क्रिया

आपको जो यंत्र भेजे गये हैं वह प्राण प्रतिष्ठित हैं और पूर्ण रूप से जाग्रत हैं । आप चाहें तो सीधे ही उस पर साधना संपन्न कर सकते हैं । हालांकि आज इस लेख में आपको प्राण प्रतिष्ठा, आत्मसामिप्यिकरण एवं प्राण सायुज्यीकरण क्रिया भी बतायी जा रही है ताकि आप इस प्रक्रिया को खुद भी करके देख सकें, इसके प्रत्यक्ष प्रभाव को देख सकें और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी क्रियात्मक रूप में सुरक्षित कर सकें ।
वरिष्ठ गुरुभाईयों द्वारा प्रदत्त इस अनमोल ज्ञान के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता ।
पवित्रीकरणः अपने उलटे हाथ की हथेली में थोड़ा सा जल लेकर निम्न मंत्र बोलते हुए जल अपने चारों ओर छिड़कें
।। ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोSपि वा यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं सः वाह्याभ्यंतरः शुचि ।।


