क्लीं जगत वश्य प्रयोग
- Rajeev Sharma
- Jun 1, 2021
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Updated: Aug 7
देवर्षि नारद प्रणीत एक अद्भुत साधना
जीवन के सभी सुखों में प्रेम सर्वोपरि उपहार है उस विधाता का, जो सुख तो है ही साथ ही परमानंद की तृप्ति भी स्वतः मन को प्रदान करता है ।
किन्तु प्रेम सुख का अभाव मानव जीवन को इस कदर सालता है कि वो सामान्य तौर पर विक्षिप्त ही हो जाता है, या ये कहा जाये कि जीवन जीने की उसकी ललक ही समाप्त हो जाती है और वो अनमने ढंग से स्वयं के परिवार के लिए मात्र औपचारिकता ही निभाता है ।
मित्र ने विश्वासघात किया हो या प्रेम में धोखे की बात हो या फिर, दाम्पत्य सुख का अभाव हो, पत्नी या पति निष्ठुरता का व्यवहार दिखाकर हमारे आत्म सम्मान को पग - पग पर छलते हों, हमारा प्रेम हमसे दूर हो गया हो या फिर एक सच्चे प्रेम के लिए परिवार अपनी रुढिवादिता को छोड़ने के लिए तैयार ना हो । जाने कितनी ही चीजें हैं जो आपके मन के व्यथित कर सकती हैं ।
उपरोक्त सभी परिस्थितियाँ मरण तुल्य ही तो होती हैं, और तो और कभी - कभी मन आकर्षण को प्रेम समझने लगता है । परन्तु आकर्षण को प्रेम समझना बहुत बड़ी गलती है, परन्तु आखिर ये भेद समझाए भी तो कोई कैसे ? और कोई समझे भी तो कैसे?
सदगुरुदेव ने व्याख्या करते हुए कहा था कि “क्लींकारी कामरूपिण्यै” अर्थात “क्लीं” बीज जीवन की उपरोक्त सभी अवस्थाओं का स्वयं सिद्ध हल है, और यदि साधक मात्र इसी बीज को समझ ले तो उसके जीवन में सभी रिश्तों के प्रेम की आपूर्ति सतत होते रहती है, यदि पिता पुत्र का घोर विरोधी हो गया हो या पुत्र पथ भ्रष्ट हो गया हो, तब भी ये बीज मंत्र अपना अचूक प्रभाव प्रदान करता ही है, अर्थात प्रेम की जहाँ पर भी कमी हो ऐसे प्रत्येक क्षेत्र में इसका प्रभाव तीव्र और सटीक होता है, उन्होंने बताया था कि
१ - यदि नौकरी में मालिक विपरीत हो गया हो. २ - व्यापार में नौकर धोखा दे रहा हो. ३ - पड़ोसी आपके विपरीत हो गए हो. ४ - सास बहु के, बहु सास के या ननद भाभी के या भाभी ननद के विपरीत हो गयी हो. ५ - आपको स्वयं से ही घृणा हो गयी हो या फिर आप को लगता हो कि आप से कोई बहुत बड़ी त्रुटि हो सकती है .
उपरोक्त सभी स्थितियों में भी ये उतना ही प्रभावकारी होता है. इस अद्भुत काम बीज का सर्वोत्तम विधान “नारद पंचरात्रम” नामक ग्रन्थ में वर्णित है, लेकिन वो भी बहुत ही गोपनीय ढंग से दिया गया है, हालाँकि उस अद्वितीय ग्रन्थ में मूल मन्त्र से सम्बंधित प्रयोग भी वर्णित है, परन्तु काम बीज का प्रयोग बहुत ही सूक्ष्मता और गोपनीयता से उसमें वर्णित किया गया है, याद रखने वाली बात ये है कि प्रायः हम सभी को उपरोक्त वर्णित किसी न किसी स्थिति से पीड़ित रहना पड़ता है, तब यदि हर ६ माह में हम प्रतिदिन के ढेड़ घंटे ७ दिन तक दे दें तो उन स्थितियों पर विजय पाई जा सकती है और यदि तीन बार ये क्रम कर लिया जाये तो सम्पूर्ण जीवन इस प्रभाव को पाया जा सकता है ।



