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लक्ष्मी प्राप्ति के व्यावहारिक विकल्प - 4

Updated: Aug 31, 2023

भगवती महाकाली और सदगुरुदेव प्रदत्त कायाकल्प औषधि प्रयोग


लक्ष्मी प्राप्ति के लिए जीवन में बहुत ही व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है । आध्यात्मिक धरातल पर किये गये कार्यों से भौतिक जीवन में किस प्रकार परिवर्तन होते हैं, उसको भी समझने की उतनी ही आवश्यकता है जितना कि भौतिक जीवन में किये गये कार्यों से आध्यात्मिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को ।

दो शब्द हैं - अंतहीन यात्रा और अनंत यात्रा ।


अगर साधारण शब्दों में इनको समझा जाए तो दोनों का अर्थ लगभग एक जैसा ही है लेकिन अगर इनका भाव समझा जाए तो दोनों में ही जमीन - आसमान का फर्क आ जाता है । एक शब्द में जीवन का कोई उद्देश्य ही नहीं है और, दूसरा शब्द जीवन और यात्रा दोनों की सार्थकता पर प्रकाश डालता है ।


इसी प्रकार से जीवन में भगवती महाकाली के बिना भगवती महालक्ष्मी के आगमन की आशा करना उतना ही व्यर्थ है जितना अंतहीन यात्रा में अनंत यात्रा की आशा करना । भगवती महालक्ष्मी अपने 1008 स्वरूपों में जब साधक के जीवन में पदार्पण करती हैं तो जीवन खिल जाता है । लेकिन लक्ष्मी स्वयं में चंचल हैं और कभी एक जगह पर स्थिर नहीं रह सकती हैं । इसलिए जो भी उत्तम समय भगवती महालक्ष्मी की कृपा स्वरूप प्राप्त होता है उसे भगवती महाकाली की कृपा के बिना चिरस्थायी नहीं बनाया जा सकता । भगवती महाकाली ही काल की देवी हैं और काल का मार्गदर्शन भी यही करती हैं । मनुष्य जीवन माया में घिरकर वापस उसी में फिर से न उलझ जाए, इसके लिए भगवती महाकाली की उपासना भी उतनी ही आवश्यक होती है ।


सदगुरुदेव ने भगवती महाकाली से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्यों को कई शिविरों में स्पष्ट रुप से बताया है कि किस प्रकार से साधक भगवती महाकाली की उपासना करके जीवन के बंधनों से मुक्त हो सकता है । इसी क्रम में वरिष्ठ गुरुभाइयों ने भगवती महाकाली के बीज मंत्र का भी वीडिओ सबके समक्ष रखा जिसमें सदगुरुदेव केवल एक बीज मंत्र के माध्यम से जीवन की चिंताओं के निराकरण की बात समझा रहे हैं ।


भगवती महाकाली का बीज मंत्र


।। क्रीं ।।

।। Kreem ।।

(क्रीं मंत्र से समस्या हल करने का रास्ता)


क्रीं बीज से संबंधित कुछ तथ्यों को आवाहन श्रृंखला भाग 15 में भी रखा गया था । सदगुरुदेव ने इतने उच्च कोटि के बीज मंत्र के उच्चारण के रहस्यों को भी अपने शिष्यों के समक्ष रखा है कि उच्चारण के समय क्रीं में म् का उच्चारण किया जाए तो क्या हो सकता है और अगर ग् का उच्चारण किया जाए तो क्या हो सकता है ।


आप इस बीज मंत्र की महत्ता इस प्रकार से समझिए कि अगर क्रीम् का उच्चारण किया जाए तो जीवन की चिंताओं का निराकरण करने की शक्ति मिलती है और अगर क्रींग का उच्चारण किया जाए तो काल गमन की क्षमता प्राप्त हो सकती है ।


ये तो बात रही बीज मंत्र की पर, सदगुरुदेव ने तो अपने सभी शिष्यों की झोली हीरे - मोतियों से भर दी है । उनकी प्रदान की हुयी साधनाओं की तुलना तो किसी भी चीज से करना ही व्यर्थ है हालांकि किसी न किसी चीज से उपमा करके हम लोग इन साधनाओं की महत्ता को समझने का प्रयास तो कर ही सकते हैं ।


भगवती महाकाली से संबंधित जिस मंत्र को यहां आज स्पष्ट किया जा रहा है, उसके संदर्भ में तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि मात्र इस एक मंत्र के अभ्यास से भगवती महाकाली की कृपा को पूर्ण रुप से प्राप्त किया जा सकता है । यह मंत्र न सिर्फ छोटा है बल्कि इसकी शक्ति इतनी तीव्र है कि इसके प्रभाव से भूत - प्रेत भी भाग जाते हैं । कुछ समय पूर्व ही इस मंत्र को प्रयोग करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तब इसकी शक्ति को स्पष्ट रुप से महसूस किया था ।


दरअसल होता क्या है कि जब भी कोई व्यक्ति या शक्ति सूक्ष्म रूप में विचरण करती है तो अपने मूल शरीर से उसका संपर्क अथर्वासूत्र या रजतरज्जू से बना रहता है । अगर उस व्यक्ति की चेतना प्रकाशवान है तो रजतरज्जू भी प्रकाशवान रहेगा और अगर व्यक्ति मलिन गुणों से युक्त है तो उसका रजतरज्जू भी मलिन ही होगा । यहां हम इस विषय की गहराई में नहीं जा रहे हैं बल्कि केवल उसका उद्धरण दे रहे हैं; सदगुरुदेव चाहेंगे तो इस पर कभी फिर लिखा जाएगा । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कुत्ता एक ऐसा प्राणी है जो बाकी प्राणियों की अपेक्षा अथर्वासूत्र को आसानी से देख सकते है और, अथर्वासूत्र का रंग (प्रकाशवान अथवा मलिन) उनके व्यवहार को भी प्रभावित करता है ।


अगर अथर्वासूत्र मलिन होगा तो वह कुत्ते को भोंकने पर विवश कर देगा । आपने भी कई बार महसूस किया होगा कि गली में या सड़क पर कई बार कुत्ते बेवजह भौंकना प्रारंभ कर देते हैं और बहुत देर तक भौंकते ही रहते हैं, हम लोग कुछ समझ ही नहीं पाते । पर भाई जी, कुछ भी बेवजह नहीं होता है, बस कुछ ऐसा होता है जो आप नहीं देख पा रहे हैं पर कुत्ते अवश्य देख पा रहे हैं ।


पर मलिन अथर्वासूत्र वाले व्यक्तियों और शक्तिओं की उपस्थिति का अहसास एक सामान्य साधक भी कर सकता है । अपने आस-पास के ऊर्जा क्षेत्र में आये हुये बदलावों को तो एक सामान्य साधक भी महसूस कर सकता है तो सदगुरुदेव के शिष्यों के लिए यह कौन सी बड़ी बात है । ऐसा ही कुछ मुझे भी महसूस हुआ; दरअसल रात्रि के 8 या 9 ही बजे थे लेकिन मैं उस अजीब सी ऊर्जा को महसूस कर सकता था । मन में एक डर भी महसूस हो रहा था । मैं बड़ा ही आश्चर्यचकित था कि ऐसा कैसे हो रहा है । सड़क पर कुत्तों की पूरी फौज भौंके जा रही थी । मैंने सदगुरुदेव का स्मरण किया तो कुछ ही समय में उपद्रव शांत हो गया । लेकिन मुझे बहुत ही आश्चर्य हो रहा था कि आखिर ये सब था क्या ।


मैंने अगले दिन सदगुरुदेव से पूछा कि गुरुजी आखिर ये सब क्या था । सदगुरुदेव मुसकुराते हुये बोले कि तुमको माता महाकाली को याद कर लेना चाहिए था । मैंने कहा कि मैं तो आजकल बस गुरुमंत्र जपता रहता हूं, बाकी किसी के बारे में तो कभी ध्यान ही नहीं आता । तब सदगुरुदेव ने समझाया कि अपनी शिकायत लेकर हर समय राष्ट्रपति के पास नहीं ले जाना चाहिए, जब उनके अफसर इस काम को कर सकते हैं तो पहले वहीं पर काम कर लेना चाहिए । मैं हंस पड़ा और मेरी शंका का भी समाधान हो गया था । उस समय सदगुरुदेव ने माता महाकाली के इस उच्च कोटि के मंत्र को प्रदान किया जो इस प्रकार है -


।। क्रीं क्रीं महाकालिके क्रीं क्रीं हुं फट् ।।

।। Kreem Kreem Maha Kalike Kreem Kreem Hum Phat ।।


आपको शायद आश्चर्य हो कि अगली रात भी इसी तरह की घटना हुयी और मैंने निश्चित रुप से उन मलिन अथर्वासूत्र वाली शक्तियों को अपने घर में आने की कोशिश करते हुये देखा । हालांकि जब यह घटना हुयी तब मैं बस आंख बंद करके सोने की तैयारी ही कर रहा था । बाहर सड़क पर कुत्तों की फौज फिर से भौंक रही थी । मैं समझ गया कि जो कल हुआ था वही आज भी हो रहा है । बस क्या था, आंख बंद किये हुये ही इस दिव्य मंत्र का मात्र 10 बार ही मन में उच्चारण किया था कि सब कुछ ऐसे शांत हो गया जैसे कि कहीं कुछ था ही नहीं ।


ये तो खैर एक प्रत्यक्ष घटना थी और इसे बताने में कोई हर्ज नहीं है इसलिए यहां लिख दिया है । लेकिन बहुत से ऐसे घटनाक्रम भी हो जाते हैं जिनका उल्लेख करना उचित नहीं होता है । पर आशय आप समझ गये होंगे ।


इस मंत्र का प्रयोग किसी भी विपरीत परिस्थिति में करने से रास्ता निकलता ही है । और तो और अगर कोई घटना भविष्य में होने वाली है तो उसका निराकरण भी पहले ही हो जाता है । अगर घर में बच्चे को नजर लग जाती है तो थोड़ा सा भभूत या कंडे की राख को इस मंत्र से 10 बार अभिमंत्रित करके, जल में घोलकर पिला देने से बच्चा ठीक हो जाता है । राख चुटकी भर पर्याप्त रहती है, ज्यादा न पिलायें इसका ध्यान रखें । कभी ऐसा भी होता है कि कहीं जाना पड़े और वापस आकर तबीयत खराब हो जाती है, अगर आपको लगता है कि नकारात्मक शक्तियों ने कुछ प्रभाव डाला है तो वहां भी इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं ।


प्रयोग तो असंख्य हैं । जरूरत है तो बस अभ्यास करने की । रोज अभ्यास करें और जब आवश्यकता महसूस हो तब इसका प्रयोग करें । वैसे दैनिक अभ्यासी को इसका प्रयोग करने की आवश्यकता पड़ती भी नहीं है, उसके बहुत सारे कार्य तो स्वतः ही हो जाते हैं ।

 

कायाकल्प और मनुष्य शरीर


जैसा कि हमने आपसे वादा किया था कि प्रत्येक लेख के साथ आपको व्यावहारिक चीजों से भी जोडेंगे तो इस श्रृंखला में आपके सामने हम कायाकल्प से संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयोग को सामने रख रहे हैं ।


वैसे तो सदगुरुदेव ने आयुर्वेद से संबंधित असंख्य प्रयोग दिये हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर का कायाकल्प कर सकता है । कुछ प्रयोग तो आपको पुस्तक में भी प्राप्त हो जाएंगे जिनमें अमृत क्वाथ, यौवन क्वाथ और रत्न क्वाथ प्रमुख हैं पर ये सब तो सदगुरुदेव के बिखेरे हुये हीरे - मोतियों के मात्र कुछ ही अंश हैं । उन्होंने तो जीवित - जाग्रत ग्रंथ लिखे हैं जो इस प्रकार की विद्याओं में न सिर्फ सिद्धहस्त हैं बल्कि उस ज्ञान को प्रामाणिक और प्रायोगिक तौर पर सबके लिए उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं ।


कायाकल्प के जिस प्रयोग की मैं बात कर रहा हूं, इसमें 10-12 विभिन्न औषधियों का प्रयोग किया जाता है, बराबर मात्रा में पीसकर उनका चूर्ण बनाया जाता है और इस चूर्ण को 40 दिन तक नित्य गाय के दूध के साथ सेवन किया जाता है । ऐसा करने से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है और शरीर निरोगी हो जाता है । अभी तक इस औषधि के परिणाम सकारात्मक ही आये हैं और जिन व्यक्तियों को इस कायाकल्प औषधि का प्रयोग कराया गया है उनकी समस्या का पूर्ण निराकरण हुआ ही है । होगा भी क्यों नहीं, आखिर ज्ञान तो सदगुरुदेव का ही है ।


खैर, अब हम अगले चरण में इस औषधि को 108 व्यक्तियों पर प्रयोग करने की इच्छा रखते हैं और इसीलिए इसे यहां ब्लॉग पर प्रकाशित किया जा रहा है । समान समस्या वाले व्यक्तियों को एक ही ग्रुप में रखा जाएगा और कुल 108 व्यक्तियों पर इसका सफल प्रयोग होने पर इसको सदगुरुदेव की आज्ञा से मार्केट में लॉंच कर दिया जाएगा । यहां यह भी ध्यान रखना है कि अगर सदगुरुदेव आज्ञा नहीं देते हैं तो इसके सफल होने की सूरत में भी हम इसको बाजार में नहीं उतारेंगे । इसलिए यह मौका एक अभूतपूर्व मौका है जब हम इस प्रकार के कायाकल्प प्रयोग में हिस्सा ले सकेंगे ।


इस कायाकल्प प्रयोग पर आने वाला खर्च बहुत ज्यादा नहीं है फिर भी, केवल वही लोग संपर्क करें जो सच में इच्छुक हैं और किसी शारीरिक समस्या से बहुत समय से परेशान हैं । आप अपने सगे, संबंधियों अथवा मित्रों के लिए भी इस औषधि का प्रयोग कर सकते हैं ।


आप नीचे टिप्पड़ी में अथवा Whats App # 8979480617 के माध्यम से हमने संपर्क कर सकते हैं ।


अस्तु ।

 

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