लक्ष्मी प्राप्ति के व्यावहारिक विकल्प - 4
- Rajeev Sharma
- Sep 16, 2020
- 7 min read
Updated: Aug 7
भगवती महाकाली और सदगुरुदेव प्रदत्त कायाकल्प औषधि प्रयोग
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए जीवन में बहुत ही व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है । आध्यात्मिक धरातल पर किये गये कार्यों से भौतिक जीवन में किस प्रकार परिवर्तन होते हैं, उसको भी समझने की उतनी ही आवश्यकता है जितना कि भौतिक जीवन में किये गये कार्यों से आध्यात्मिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को ।
दो शब्द हैं - अंतहीन यात्रा और अनंत यात्रा ।
अगर साधारण शब्दों में इनको समझा जाए तो दोनों का अर्थ लगभग एक जैसा ही है लेकिन अगर इनका भाव समझा जाए तो दोनों में ही जमीन - आसमान का फर्क आ जाता है । एक शब्द में जीवन का कोई उद्देश्य ही नहीं है और, दूसरा शब्द जीवन और यात्रा दोनों की सार्थकता पर प्रकाश डालता है ।
इसी प्रकार से जीवन में भगवती महाकाली के बिना भगवती महालक्ष्मी के आगमन की आशा करना उतना ही व्यर्थ है जितना अंतहीन यात्रा में अनंत यात्रा की आशा करना । भगवती महालक्ष्मी अपने 1008 स्वरूपों में जब साधक के जीवन में पदार्पण करती हैं तो जीवन खिल जाता है । लेकिन लक्ष्मी स्वयं में चंचल हैं और कभी एक जगह पर स्थिर नहीं रह सकती हैं । इसलिए जो भी उत्तम समय भगवती महालक्ष्मी की कृपा स्वरूप प्राप्त होता है उसे भगवती महाकाली की कृपा के बिना चिरस्थायी नहीं बनाया जा सकता । भगवती महाकाली ही काल की देवी हैं और काल का मार्गदर्शन भी यही करती हैं । मनुष्य जीवन माया में घिरकर वापस उसी में फिर से न उलझ जाए, इसके लिए भगवती महाकाली की उपासना भी उतनी ही आवश्यक होती है ।
सदगुरुदेव ने भगवती महाकाली से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्यों को कई शिविरों में स्पष्ट रुप से बताया है कि किस प्रकार से साधक भगवती महाकाली की उपासना करके जीवन के बंधनों से मुक्त हो सकता है । इसी क्रम में वरिष्ठ गुरुभाइयों ने भगवती महाकाली के बीज मंत्र का भी वीडिओ सबके समक्ष रखा जिसमें सदगुरुदेव केवल एक बीज मंत्र के माध्यम से जीवन की चिंताओं के निराकरण की बात समझा रहे हैं ।
भगवती महाकाली का बीज मंत्र
।। क्रीं ।।
।। Kreem ।।
(क्रीं मंत्र से समस्या हल करने का रास्ता)
क्रीं बीज से संबंधित कुछ तथ्यों को आवाहन श्रृंखला भाग 15 में भी रखा गया था । सदगुरुदेव ने इतने उच्च कोटि के बीज मंत्र के उच्चारण के रहस्यों को भी अपने शिष्यों के समक्ष रखा है कि उच्चारण के समय क्रीं में म् का उच्चारण किया जाए तो क्या हो सकता है और अगर ग् का उच्चारण किया जाए तो क्या हो सकता है ।
