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माला में प्राण प्रतिष्ठा

Updated: Aug 7

माला में प्राण संस्कार के सरलतम और श्रेष्ठतम प्रयोग


प्राण प्रतिष्ठा से तात्पर्य है कि किसी वस्तु में प्राणों का संचार करना । बिना प्राणों के किसी भी वस्तु में स्वयं की न तो कोई ऊर्जा होती है और, न ही वह किसी अभीष्ट प्राप्ति में सहायक ही सिद्ध हो सकती है ।


हम लोग बहुधा गुरुधाम से माला और यंत्र सामग्री मंगाकर निश्चिंत हो जाते हैं कि हमें प्राण प्रतिष्ठित सामग्री पहले से ही तैयार की हुयी मिल गयी है । बात सच भी है कि हमें इस कार्य में ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता और हमारे हिस्से का कार्य सदगुरुदेव स्वयं करके भेज देते हैं ।


कुछ परिस्थितियों में ये उचित है पर, हमेशा ऐसे ही करते रहें, ये उचित नहीं है ।


कारण ये है कि सदगुरुदेव ने अपने शिष्यों को सभी प्रकार का ज्ञान बहुत पहले से प्रदान किया हुआ है । और, वो हमसे ये भी उम्मीद करते हैं कि हम उस ज्ञान को न सिर्फ प्रयोग करेंगे बल्कि, उस ज्ञान को संरक्षित करके आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरोहर स्वरूप प्रदान भी करेंगे ।


प्राण संस्कार भी उनमें से ही एक बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है । अब तक हमने प्राण प्रतिष्ठा के कुछ प्रयोगों को पिछली कई पोस्ट के माध्यम से देखा और सीखा है जिसमें शामिल हैं -

ये सभी प्रयोग बहुत दुर्लभ हैं और ये हम लोगों का सौभाग्य है कि हम सदगुरुदेव के श्री चरणों में रहकर इन प्रयोगों को प्राप्त कर पाने और उनको संपन्न कर पाने में सफल हुये हैं । आप ये कदापि न सोचिये कि ये सब प्रयोग आपको हम दे रहे हैं, ये प्रयोग तो सदगुरुदेव हमारे माध्यम से आप सब तक पहुंचा रहे हैं । ये तो आपकी अपनी प्रबल भावनाएं हैं कि सदगुरुदेव कृपालु होकर इस ज्ञान की वर्षा से हम सबको भिगो रहे हैं ।


पर ये भी सोचिए कि क्या हो जब हम विजय सिद्धि माला न बना पाये हों ? तब एक साधारण रुद्राक्ष, मूंगा या कमलगट्टे की माला को ही कैसे प्राण प्रतिष्ठित करें कि वह भी एक विशेष तांत्रिक माला बनकर हमें हमारे अभीष्ट की प्राप्ति में सहयोगी सिद्ध हो ।

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