अभी हाल ही में नवरात्रि का शुभ समय था । कुछ गुरुभाइयों ने विजय सिद्धि माला का निर्माण भी इसी समय में कर लिया है । मैं उन सब गुरुभाइयों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने इस नवरात्रि में इस अद्भुत प्रयोग को संपन्न किया है । उनको भी बधाई जो किसी न किसी साधना में संलग्न रहे हैं । क्योंकि नवरात्रि का समय चैतन्य शक्ति से भरपूर होता है ।
जो कार्य नवरात्रि में आसानी से हो सकते हैं, उन कार्यों को वर्ष के किसी और समय करने में अत्यधिक श्रम और ऊर्जा खर्च हो जाती है । इसलिए विरले ही होते हैं वे सौभाग्यशाली साधक जो नवरात्रि के अवसर का भरपूर लाभ उठा पाते हैं ।
अब बात करते हैं एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय की - मंत्रों के माध्यम से रोग निवारण । वैसे तो ये बहुत ही विस्तृत विषय है और प्रत्येक रोग के लिए एक ही मंत्र काम करे, ये आवश्यक नहीं है । पर एक ही मंत्र कई प्रकार की समस्याओं में काम आ सकता है, ये एक अनुभूत तथ्य है ।
हालांकि ये अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए कि रोग के उपचार में सिर्फ मंत्रों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए; व्यक्ति को दवाइयों का भी इस्तेमाल करना चाहिए । क्योंकि मंत्र के माध्यम से उपचार में साधक की चेतना स्तर का भी महत्वपूर्ण रोल होता है । अगर साधक ने किसी मंत्र को सिद्ध भी कर लिया है लेकिन चेतना स्तर अभी भी सामान्य ही है तो रोग के निवारण में समय लगता है । शायद इसीलिए सदगुरुदेव चेतना मंत्र के अभ्यास पर हमेशा जोर देते थे । यहां ब्लॉग पर सदगुरुदेव प्रदत्त अत्यंत महत्वपूर्ण चैतन्य संस्कार मंत्र भी पहले ही पोस्ट कर दिये गये हैं, उनको प्रतिदिन सुनने मात्र से भी व्यक्ति के चेतना स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि होती ही है ।
पेट से संबंधित रोगों के निवारण के लिए
कभी - कभी ऐसा होता है कि समय-असमय (जैसे कि रात्रि समय में) बच्चे या वयस्क व्यक्ति को अकारण ही समस्या होने लग जाती है । जैसे कि -
अकारण बेचैनी अथवा बुखार जैसा महसूस होना
पेट में गैस बनने से दर्द होने लग जाए
भोजन पच नहीं पा रहा हो और उसके कारण पाचन संबंधी समस्यायें हो जाएं
बच्चे को या वयस्क व्यक्ति को नजर लग जाए तो भी तबीयत खराब होने लग जाती है
उदर से संबंधित समस्याओं की तो गिनती की ही नहीं जा सकती । ये ऐसा समय होता है जब किसी डॉक्टर के पास जाने का भी समय नहीं होता है । वैसे, इस तरह की समस्याओं में अगर दवा उपलब्ध भी हो जाए तो ऐसा भी हो सकता है कि दवा से आराम ही नहीं हो । उस वक्त अगर इस मंत्र को प्रयोग किया जाए तो स्वास्थ्य लाभ होता ही है ।
मंत्र
।। ॐ नमो अदेस गुरू को शियाम बरत शियाम गुरू पर्वत में बड़ बड़ में कुआ कुआ में तीन सुआ कोन कोन सुआ वाई सुआ छर सुआ पीड़ सुआ भाज भाज रे झरावे यती हनुमंत मार करेगा भसमंत फुरो मंत्र इश्वरो वाचा ।।
इस मंत्र को ग्रहण काल (सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण) में 108 बार जपकर सिद्ध कर लें । प्रयोग के समय जल अभिमंत्रित करके (7 बार पानी पर पढ़कर फूंक मारें) रोगी को पिला दें, जल्द ही फायदा होगा ।
मेरा स्वयं का अनुभव ये रहा है कि रोगी अगर आपसे 1000 किमी दूर भी बैठा हो तो भी इस मंत्र के प्रभाव से उसको स्वास्थ्य लाभ होता ही है । ये मंत्र अनुभूत है, सदगुरुदेव की कृपा और प्रेरणा से आज यहां पोस्ट किया जा रहा है । आप सबको जीवन में सदगुरुदेव की कृपा और आशीर्वाद के साथ-साथ एक स्वस्थ जीवन भी प्राप्त हो, ऐसी ही शुभेच्छा है ।
वर्ष 2020 में कुल 6 ग्रहण पड़ने हैं; एक चंद्र ग्रहण पिछली 10 जनवरी, 2020 को हो चुका है । बाकी के 5 ग्रहण की क्रमवार तारीख यहां दे दी जा रही है । आप अपनी सुविधानुसार किसी भी ग्रहण काल में इस मंत्र को मात्र 108 बार जपकर सिद्ध कर लें । और किसी विपत्ति काल में मंत्र शक्ति के प्रयोग से अपनी और अपने परिवार की रक्षा करें ।
ग्रहण प्रारंभ होने से 6 घंटे पहले से और ग्रहण पूरा होने के 6 घंटे बाद तक ग्रहण का प्रभाव रहता है और इन 12 घंटों में आसानी से मंत्र जप किया जा सकता है ।
5 जून 2020 चंद्र ग्रहण
रात्रि को 11 बजकर 15 मिनट से 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक कहां दिखाई देगा: भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और आस्ट्रेलिया
21 जून 2020 सूर्य ग्रहण 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 15 बजकर 03 मिनट तक भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया
5 जुलाई 2020 चंद्र ग्रहण सुबह 08 बजकर 37 मिनट से 11 बजकर 22 मिनट तक अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका
30 नवंबर 2020 चंद्र ग्रहण दोपहर को 13 बजकर 02 मिनट से शाम 17 बजकर 23 मिनट तक भारत, अमेरिका, प्रशांत महासागर, एशिया और आस्ट्रेलिया
14 दिसंबर 2020 सूर्यग्रहण शाम को 19 बजकर 03 मिनट से 15 दिसंबर को 12 बजे सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा ।
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