मृत्योर्माऽमृतं गमय
- Rajeev Sharma
- Jan 8, 2020
- 5 min read
Updated: Aug 8
।। मृत्योर्मा साधना ।। अमृतं साधना ।। गमय साधना ।।
जीवन के सबसे जटिल प्रश्नों में से कुछ प्रश्न हैं -
मृत्यु क्या है?
और क्या कोई ऐसी विधि है जिससे हम जान सकें कि क्या मृत्यु से परे भी कोई चीज है, क्या मृत्यु अवश्यंभावी है, क्या हम मृत्यु को टाल सकते हैं और भी न जाने कितने प्रश्न हैं जो मनुष्य युगों - युगों से जानने का प्रयत्न करता रहा है । और, आज भी करता ही है ।
वैज्ञानिकों की एक बहुत बड़ी संख्या जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को जानने के लिए ही तो स्विट्जरलैण्ड के एक शहर में महाविस्फोट प्रयोग के माध्यम से वर्षों से कार्यरत हैं । स्विट्ज़रलैंड और फ़्रांस की सीमा पर अरबों डॉलर लगाकर यह प्रयोगशाला स्थापित की गई है। ज़मीन से 175 मीटर नीचे 27 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई गई है और इसमें प्रोटॉनों को लगभग प्रकाश की गति से छोड़ा जाएगा फिर किसी एक क्षण में विपरीत दिशा से प्रोटानों को टकराया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे वही परिस्थितियाँ पैदा होंगी जो ब्रह्मांड के निर्माण की थीं, जिसे बिग बैंग भी कहा जाता है।
जो लोग इस प्रयोग के बारे में जानते हैं वो आसानी से समझ सकते हैं कि मनुष्य जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को जानने के लिए सदैव से कितना व्याकुल रहा है ।
हम सबने एक श्लोक बचपन से पढ़ा है -
असतो मा सद् गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्माSमृतम् गमय
अर्थात, उपनिषद भी इस बात को स्वीकार कर सकता है कि मृत्यु तो अवश्यंभावी है । आप चाहें या न चाहें लेकिन मृत्यु का वरण करना पड़ता है । लेकिन श्लोक के आधे हिस्से में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मृत्यु से अमृत्यु तक कैसे पहुंचा जा सकता है ।
तो क्या हमें इस बात पर चिंतन नहीं करना चाहिए कि ऐसी क्या चीज है जिससे एक क्षण मात्र में ही मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । जो मनुष्य एक क्षण पहले जीवित था, जाग्रत था, वह मात्र एक क्षण बाद कैसे मृत हो जाता है, पर सत्य यह है कि मृत्यु पर हमारा नियंत्रण नहीं है । अगर यह सत्य है तो यह भी सत्य ही है कि जन्म पर भी हमारा नियंत्रण नहीं है ।



