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महाशांति साधना विधानः लक्ष्मी एवं राज्य सिद्धि प्रयोग

लक्ष्मी सिद्धि प्रयोग

राज्य एवं लक्ष्मी सिद्धि

जैसा कि विगत लेखों में स्पष्ट किया गया है कि महाशांति साधना प्रयोग तांत्रिक शैव सम्प्रदाय से संबंध रखता है । प्राचीन समय में कश्मीरी शैव सिद्धों के मध्य यह प्रयोग प्रचलन में रहा था लेकिन धीरे – धीरे यह प्रयोग कुछ ही सिद्धों के मध्य ज्ञात रहा । वस्तुतः कश्मीरी शैव सिद्धांत तंत्र की प्रक्रियाएं अति गोपनीय रहती थीं क्योंकि ये शैव सिद्ध जनमानस से अति दूर, अपने आत्मचिंतन एवं शिवत्व प्राप्ति में ही हमेशा लीन रहते थे । इसलिए इस मार्ग से संबंधित तांत्रिक साधना जनसामान्य के मध्य प्रकट नहीं हुयी ।


लक्ष्मी सिद्धि राज्य सिद्धि प्रयोग भी इसी मार्ग का एक विशेष गोपनीय प्रयोग है जो कि गुप्तता की मर्यादा में ही रहा है । धन प्राप्ति या लक्ष्मी प्राप्ति हेतु साधक इस प्रयोग को संपन्न कर सकता है । महाशांति विधान के मूल प्रयोग की भांति ही इस प्रयोग को भी संपन्न करना है लेकिन इस विधान में मूल मंत्र को श्रीं बीज से संपुटित कर दिया जाता है ।


गुरु सायुज्य  तंत्र कर्म सिद्धि मंडल
गुरु सायुज्य तंत्र कर्म सिद्धि मंडल

लक्ष्मी सिद्धि का यह प्रयोग कई दृष्टि से विशेषताओं को अपने अंदर समाहित किये हुये है तथा साधक को निम्न लाभों की प्राप्ति करवाता है-


  1. साधक को जीवन में लक्ष्मी की प्राप्ति श्री के रूप में होती है । इस प्रयोग से जीवन में जिस लक्ष्मी का आगमन आता है वह साधक के जीवन को आनंद से भर देती है ।

  2. साधक को शांति अवस्था की प्राप्ति होती है ।

  3. साधक के सभी मानसिक रोग, अवसाद, निराशा, खिन्नता आदि से मुक्ति मिलती है ।

  4. साधक एक स्वस्थ चिंतन को प्राप्त होता है तथा अपने जीवन में खुशियों को स्थान देता है । मानसिक रुप से तुष्ट बनता है ।

  5. जीवन में दुर्भाग्यकारक दोष की निवृति होती है, किसी भी ग्रह की विपरीत दृष्टि एवं दुष्प्रभाव का निराकरण होता है ।

  6. साधक जीवन में आने वाली बाधा तथा कष्टों का पूर्व ही आभास साधक को होने लगता है तथा उससे संबंधित निराकरण की प्राप्ति भी साधक को प्राप्त होने लगती है ।

  7. यह मृत्युंजय विधान है अतः इस प्रयोग को करने से साधक को अकालमृत्यु आदि का भय व्याप्त नहीं होता ।

  8. साधक को शत्रुबाधा में रक्षण की प्राप्ति होती है तथा साधक शत्रु षड़यंत्रों से मुक्ति को प्राप्त करता है ।


इस प्रकार साधक को यह एक ही प्रयोग के माध्यम से कई प्रकार के लाभों की प्राप्ति होती है ।

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