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सदगुरु दर्शन साधना

Updated: Sep 3, 2023

।। गुरु कृपा ही केवलम् ।।


आज आप सभी गुरुभाइयों एवं बहनों को सद्गुरु अवतरण दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें । सदगुरुदेव आप सबके जीवन में अपनी कृपा बरसायें और अपने आशीर्वाद की छाया में आप सबका कल्याण करें ।


सदगुरुदेव के दर्शन का अभिलाषी कौन नहीं होगा; जिस भी साधक ने गुरु दीक्षा ली है, उसके तो पूरे जीवन का एक ही उद्देश्य होता है कि काश! एक बार गुरुजी के दर्शन हो जायें, तो जीवन सफल हो जायें । जिन साधकों, शिष्यों को सदगुरुदेव से दीक्षा मिली है, जिन्होंने उन परम गुरु के हाथों का स्पर्श पाया है और जिनके ऊपर सदगुरुदेव की कृपा बरसी है, वो सब तो हमारे लिये वैसे ही पूज्य हो जाते हैं ।


जो भी साधक अपने गुरु से प्रेम करते हैं, उनके लिए तो गुरु शब्द का उच्चारण ही ह्रदय में प्रेम भर जाता है और उसी क्षण अपने प्रिय गुरुदेव का चेहरा आंखों में आ जाता है । आंखों से अश्रु धारा स्वतः ही प्रवाहित होने लग जाती है क्योंकि एक गुरु ही हैं जो अपने होते है बाकी सभी रिश्ते यहीं रह जाते हैं । इस संसार रुपी भव सागर से एक गुरुजी ही होते हैं जो पार लगा देते हैं । जहां गुरु हैं वहां सभी हैं इसलिए, गुरु दर्शन, हर शिष्य के दिल की कामना ही नहीं लक्ष्य भी होता है । गुरु शब्द का उच्चारण भी अगर प्रेम भाव से किया जाए तो भी सिद्धियों का द्वार खोल देता है । इसलिए दिल में प्रेम भरिए और अपना लीजिए अपने सद्गुरु जी को, और आगे बढ़ कर उतार लें उनका प्रेम अपने ह्रदय में और बसा लें उनकी सूरत अपनी आंखों में और उनकी यादें अपने ख्यालों में । यही तो है उनके साक्षात् दर्शन करने की विधि ।


इस साधना को पूर्व में मैंने कई बार संपन्न किया है । हालांकि उस वक्त तो गुरुजी के दर्शन नहीं हुये पर, मैंने सोचा कि कोई नहीं, जब गुरुजी चाहेंगे तब तो होंगे ही । बीच में विदेश जाना हुआ तो थोड़ा व्यस्त हो गया । वापस लौटने पर मैंने पाया कि अपना कोई करीबी अब अपने साथ नहीं रहा । दिल में हर वक्त एक टीस सी रहने लगी, और ये टीस इतनी ज्यादा थी कि इस तकलीफ को मैं अपने ह्रदय में महसूस कर सकता था, ऐसा लगता था जैसे किसी ने भाले से मेरे ह्रदय को भेद दिया है ।


उस वक्त मैं जब भी कभी परेशान होता था तो सीधे जोधपुर गुरुधाम चला जाता था तो उस रात भी चल दिया । ट्रेन दिल्ली से जोधपुर के लिए चल दी । उसी रात ट्रेन में ही सदगुरुदेव ने स्वप्न में ही दर्शन दिये और कोई प्रयोग भी संपन्न किया था । मैं उस स्वप्न को आज भी नहीं भूल सकता कि किस प्रकार से सदगुरुदेव ने मुझे न सिर्फ मेरी पीड़ा से हमेशा के लिए मुक्त कर दिया, बल्कि गुरु दर्शन की अभिलाषा भी पूरी हो गई।


ये साधना सदगुरुदेव के दर्शन और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होती है । आप इस साधना को दिल से करें और विशुद्ध प्रेम से उनको रिझा लें -


विधि –

  1. इसे किसी भी गुरुवार से शुरू करना है । ५ दिन की साधना है ।

  2. वस्त्र: धोती, पीताम्बर पहन कर पीले आसन पे पूर्व की ओर मुख करके बैठें और दैनिक साधना विधि से एक बाजोट पर पीला वस्त्र बिछा के गुरु पूजन करें । गुरु पूजन की विधि पहले ही पोस्ट की जा चुकी है ।

  3. शुद्ध घी का दीप लगा दें और सुगंधित अगरबत्ती भी लगा दें ।

  4. प्रसाद के लिए हलवा बना कर रख लें, इन पाँच दिनों में हर दिन अलग अलग भोग लगायें ।

पहले दिन लड्डू जो शुद्ध घी के लें, दूसरे दिन खीर, तीसरे दिन पांच पीस बर्फी के और चौथे दिन पांचों किस्म के मेवे और पांचवें दिन हलवा लें । पूजन पांचों दिन पूर्ण प्रेम भाव से करें।


पूजन के उपरांत, ५ माला गुरु मंत्र, फिर एक माला निम्न साबर मंत्र का जाप और फिर ५ माला गुरु मंत्र जाप करें, इस प्रकार पांचों दिन कर्म करने से गुरु जी का साक्षात् दर्शन या स्वप्न दर्शन होता है। अगर भाग्यशाली रहे तो बात भी हो जाती है।

 

।। साबर मंत्र ।।


ॐ तारन गुरु बिन नहीं कोई श्रीति स्मृति मध् बात परोई । थान अद्वैत तभी जाये पसरे मन बच कर्म गुरु पग दर्शे । दरिदर रोग मिटे सभ तन का गुरु करुना कर होवे मुक्ता । धन्य गुरु मुक्ति के दाते ॐ ।।

 

यह साधना वरिष्ठ गुरुभाई द्वारा प्रदान की गयी थी जो इस समय इंग्लैंड़ में जाकर बस गये हैं । बाद में सदगुरुदेव ने ही बताया था कि यह मंत्र गुरु ग्रंथ साहिब से लिया हुआ है । मूल मंत्र तो बहुत बड़ा है पर इतना करने से भी सदगुरुदेव की कृपा प्राप्त होती ही है ।


आप सभी की गुरु दर्शन की अभिलाषा पूर्ण हो, सदगुरुदेव का आशीर्वाद आप सबको प्राप्त हो ।


ऐसी ही शुभेच्छा है ।


अस्तु ।



 

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