सद्गुरु कृपा विशेषांक - जीवन में भाव और समृद्धि
- Rajeev Sharma
- Sep 21, 2023
- 13 min read
Updated: Aug 5
एकोहि निखिलं गुरुत्वं शरण्यं
प्रातः स्मरणीय परम पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के चरणों में मेरा कोटि - कोटि प्रणाम 🙏
इस बार बहुत समय बाद यह लेख प्रकाशित हो रहा है । बहुत कारण रहे हैं । पारिवारिक व्यस्तता तो है ही, अपने साधनात्मक जीवन की वजह से भी लेख नहीं लिख पा रहा था । उससे भी बड़ा कारण ये रहा है कि इस वेबसाइट को एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर स्थानांतरित भी किया गया है । जो लोग पहले से जुड़े हुये हैं, उन्होंने वेबसाइट को बिलकुल नये रुप में पाया होगा । और ऐसा है भी । नये फीचर जोड़े गये हैं और, कुछ फीचर आने वाले समय में जोड़े जाएंगे ।
सब कुछ तो भगवत् पाद परम पूज्य सदगुरुदेव महाराज की भृकुटि का इशारा ही तो है । हम लोग तो बस ये समझते हैं कि ये सब हमने अपनी इच्छा से किया है पर, वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा अलग हो सकती है ।
इस संसार में जो भी कुछ हो रहा है या होगा, वह केवल और केवल उस परम तत्व की इच्छा से ही होता है ।
लेकिन, भगवती महामाया की माया से घिरा हुआ जीव हर क्षण इस भ्रम में रहता है कि एक वही है जो सब कुछ कर रहा है । उसको लगता है कि सांसें लेने की जो क्रिया है, उसको वह करता है । उसको लगता है कि मस्तिष्क में जो विचार आते हैं, वह उसके स्वयं के हैं । उसको ये भी लगता है कि परिवार का जो भरण - पोषण हो रहा है, उसके पीछे भी केवल वही है ।
