श्री निखिलेश्वरानंद कवचम्
- Rajeev Sharma
- Dec 16, 2019
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Updated: Aug 8
घटना करीब 15 वर्ष पुरानी है । दैनिक साधना का क्रम अचानक से बदल सा गया था । वैसे तो मैं निखिलेश्वरानंद कवच का पाठ कभी - कभी ही करता हूं पर विगत 10 दिनों से स्वतः ही न सिर्फ पाठ करने लग गया था, बल्कि संख्या भी बढ़ गयी थी । अगर ठीक से याद है तो मैं उस समय, सुबह - सुबह ही 11 पाठ करने लग गया था । कभी - कभी मुझे खुद पर आश्चर्य होने लगता था कि मैं ये कर क्या रहा हूं । पर गुरु इच्छा मानकर चुपचाप दैनिक पूजन के साथ ही साथ कवच का भी पाठ चलने लग गया ।
11 या 12 वें दिन मुझे अपने ऑफिस के एक साथी को शाम के समय उसके गांव जाने का कार्यक्रम बन गया । उस जमाने में मोटर साईकिल होना भी बड़ी बात मानी जाती थी तो हम भी चल पड़े उसको गांव तक छोडने । मुझे याद नहीं पड़ता कि उससे पहले मैंने कभी हैलमेट लगाकर मोटर साईकल चलाई हो, पर उस दिन न सिर्फ किसी से हैलमेट मांगा भी, बल्कि उसे पहनकर गया भी । आप शायद विश्वास न करें पर शहर से निकलते ही मुश्किल से 5 मिनट भी नहीं बीते थे कि एक एक्सीड़ेंट में, मैं और मेरा मित्र दोनों ही चोटिल हो गये । अगर मेरे सिर पर हैलमेट न होता तो शायद सिर में अच्छी - खासी चोट लगनी अवश्यंभावी थी । पर गुरु कृपा से हल्की फुल्की चोट से निबट लिये ।
हो सकता है कि ये मात्र एक इत्तेफाक हो । पर ऐसे इत्तेफाक जीवन में 2 बार और हुए और दोनों ही बार प्राण रक्षा हुयी । और इत्तेफाक ये भी रहा कि हर बार, निखिलेश्वरानंद कवच का पाठ स्वतः ही होने लगता था । ये तो हमारा ह्रदय ही जानता है कि क्या इत्तेफाक होता है और क्या गुरु कृपा होती है ।



