प्रथम भाव - मिथुन राशि
मिथुन (Gemini): मिथुन राशि के जातक काफी फुर्तीले और आकर्षक होते हैं। इनके राशि स्वामी बुध हैं, जिसके प्रभाव के कारण इनकी बौद्धिक क्षमता मजबूत होती है और इसी कारण वे तमाम भौतिक सुख प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। इनका राशि चिन्ह जुड़वां होता है, जो इनके द्विस्वभाव को प्रदर्शित करता है। इनका व्यवहार बहुत ही मिलनसार होता है। मिथुन राशि के जातक प्रेम संबंधों में कोई भी चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाते हैं और कुछ रहस्यमयी कार्य करते हैं। ये एक क्षण में क्रोधित हो जाते हैं और दूसरे ही क्षण में शांत हो जाते हैं। मिथुन राशि के लोगों के द्वि स्वभाव की वजह से इन्हें समझना थोड़ा मुश्किल होता है फिर भी समाज में इन लोगों को बहुत पसंद किया जाता है। क्योंकि ये जानते हैं कि लोगों को कैसे खुश रखा जाता है। मिथुन राशि के जातक रोमांटिक किस्म के व्यक्ति होते हैं। बुध परिवर्तन और संचार का भी कारक है इसलिए मिथुन राशि के लोग की भाषा शैली अच्छी होती है और वे हर विषम परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
इन तमाम गुणों के साथ इनमें असंगतता, सनकीपन भी झलकने लगता है। दरअसल इनका दोहरा व्यवहार इनके लिये कई बार सकारात्मक तो कई बार नकारात्मक साबित होता है। एक ओर ये शांत व गंभीर होते हैं, तो दूसरी ओर मजाक उड़ाने में भी अधिक समय नहीं लगाते। दरअसल, संगत का रंग इन पर बहुत जल्दी चढ़ता है, बुरी संगत में ये बहुत बुरे हो जाते हैं, तो अच्छी संगत में अच्छे ।
मिथुन राशि का स्वामी बुध है जो एक शुभ ग्रह है और विद्या, बंधु, विवेक, मित्र, वाणी, कार्य-क्षमता का कारक है ।
सदगुरुदेव महाराज ने इस राशि के बारे में कुछ विशेष तथ्य स्पष्ट किये हैं -
इस लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति कठिन परिश्रमी होता है तथा जीवन के प्रत्येक क्षण को सार्थक करने में लगा रहता है । फिर भी उसे वह प्राप्त नहीं होता, जिसकी उसे चाह होती है या जिसे पाने का वह अधिकारी होता है । इसलिए वह हीन भावना का शिकार हो जाता है और विद्रोही स्वर निकालने को तत्पर रहता है ।
ये लोग एक साथ कई कार्य करने का जोखिम उठा लेते हैं ।
लिखने पढ़ने के शौकीन होते हैं । अगर लग्न पर गुरु की दृष्टि हो तो लेखन कार्य से भी ख्याति अर्जित करते हैं । लेकिन ये सब किसी एक विषय पर न होकर विविध विषयों पर होता है ।
कद लंबा होता है, सुंदर शरीर और आकर्षक व्यक्तित्व इनकी निशानी है ।
नया काम शुरु करने में इनको विशेष प्रसन्नता होती है लेकिन प्रत्येक कार्यसिद्धि में व्यर्थ की देर होती है ।
परिश्रम के कम ही फल प्राप्त होता है । लेकिन इनमें हिम्मत गजब की होती है और ये भारी से भारी बाधाओं का सामना करने को तैयार रहते हैं ।
ये लोग चतुर, बात करने में प्रवीण या अपना काम निकालने में होशियार होते हैं ।
सच्ची मित्रता की कसौटी पर खरे उतरते हैं ।
बाधक राशि
मिथुन लग्न के लिए बाधक राशि सिंह है, जिसके स्वामी सूर्य हैं । बाधक राशि जिस भाव की होती है, उस भाव के फल में न्यूनता आ जाती है अर्थात, सूर्य की दशा - उपदशा में तृतीय भाव प्रभावित होगा ।
ऊपर दिये गये मिथुन लग्न के चार्ट से ये आसानी से समझा जा सकता है कि सूर्य की दशा - उपदशा में इस जातक का तीसरा भाव प्रभावित होगा क्योंकि तीसरे भाव में ही सिंह राशि है ।
तीसरा भाव छोटे भाई - बहन, पराक्रम, धैर्य, गले एवं कान संबंधी रोगों इत्यादि से संबंधित है । तो जब भी सूर्य की दशा या उपदशा आयेगी, तीसरे भाव से संबंधित फल में स्वतः ही न्यूनता आ जाएगी और संबंधित रोगों से जातक को परेशानी हो सकती है ।
पिछली पोस्ट (राशि एवं राशि स्वामी, ग्रह एवं कारक) में हमने राशियों का शरीर में स्थान जाना है जो श्रीकालपुरुष चक्रम से स्पष्ट हो जाता है । सिंह राशि का स्थान उदर में है तो जब भी सूर्य की दशा या उपदशा आयेगी, उदर में समस्या आयेगी ही ।
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